शिमला, 12 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश में लम्बे समय से पर्याप्त बारिश न होने के कारण सूखे के हालात बन गए हैं। राज्य के कई जिलों में पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिससे लोग पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। पेयजल योजनाओं में 30 से 60 फीसदी तक पानी घट गया है। इसके अलावा जलस्रोतों में भी पानी सूखने लगा है। आलम यह है कि कई इलाकों में लोग पानी की बूंद-बूंद को तरस रहे हैं। राजधानी शिमला में पानी की सप्लाई करने वाली दो परियोजनाओं गिरी और गुम्मा में पानी का स्तर काफी कम हो गया है।
इस सूखे का बागवानी और कृषि पर भी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बारिश और बर्फबारी कम होने से किसानों-बागवानों को नुकसान की चिंता सता रही है। राज्य के मैदानी इलाकों में सूखे की मार से गेहूं की फसल तबाह होने के कगार पर है तथा आने वाले समय में लोगों को पानी के साथ-साथ खाद्यान्न संकट से भी जूझना पड़ सकता है।
राज्य के जल शक्ति विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सूखे के चलते प्रदेश की 700 से अधिक पेयजल योजनाएं प्रभावित हुई हैं, जिसमें शिमला जोन में लगभग 400 पेयजल परियोजनाएं प्रभावित हैं। इसी तरह मंडी की 212 परियोजनाओं में जलस्तर कम है। पानी की किल्लत के चलते जलशक्ति विभाग ने मानसून तक पानी के नए कमर्शियल कनेक्शन पर रोक लगा दी है।
राजस्व, जलशक्ति एवं बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार सूखे से उत्पन्न स्थिति पर नज़र रखे हुए है। इसके लिए मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है।
मौसम विभाग शिमला के मुताबिक इस बार विंटर सीजन में सामान्य से 70 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। इसी तरह बर्फबारी भी सामान्य से कम हुई। मार्च माह में 62 फीसदी कम बारिश हुई है। सबसे कम बारिश सिरमौर, ऊना और कांगड़ा जिलों में हुई है। मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक निदेशक डॉ. मनमोहन सिंह का कहना है कि आगामी दिनों में प्रदेश में बादलों के बरसने की उम्मीद है। पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता के कारण 15 से 17 अप्रैल तक पूरे प्रदेश में झमाझम बारिश हो सकती है।