नाहन, 18 अप्रैल : सिरमौर में हिमाचल की सत्ता में आसीन भाजपा के दो दिग्गज मौजूद हैं। इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल के अलावा मौजूदा ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी जैसे बड़े चेहरे हैं। शिलाई व श्री रेणुका जी में कांग्रेस के टिकट पर कोई संशय नजर नहीं आ रहा, मगर नगर निगमों के चुनाव निपटने के बाद राजनीतिक हलकों में विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को लेकर भी सुगबुगाहट सुनाई देने लगी है।
बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि क्या कांग्रेस पांवटा साहिब में किरनेश जंग चौधरी पर ही दांव खेलेगी या नहीं। वहीं, अगर कांग्रेस के खेमे की बात करें तो अजय सोलंकी पर दांव खेलने को लेकर गुण-दोष के आधार पर आंकलन हो रहा है।
अलबत्ता, ये काफी हद तक तय माना जा रहा है कि पांवटा साहिब व नाहन में भाजपा विधायकों को एंटी इन्कमबंसी का सामना तो करना ही पड़ सकता है।
हालांकि पांवटा साहिब में युवा चेहरे के तौर पर अनिंद्र सिंह नौटी, वहीं नाहन में सिरमौर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर सिंह भी काफी सक्रिय हैं। मगर कांग्रेस बखूबी इस बात को जानती है कि एकजुटता से चुनाव लड़ने की सूरत में ही भाजपा के दिग्गजों को धूल चटाई जा सकती है।
उधर, हाल ही में पूर्व जिला परिषद अध्यक्षा दयाल प्यारी की कांग्रेस में बेहद ही गोपनीय तरीके से एंट्री हुई। कांग्रेस के दिल्ली मुख्यालय में दयाल प्यारी ने कांग्रेस की सदस्यता को ग्रहण किया।
ऐसा माना जा रहा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट की पूरी गारंटी मिलने के बाद ही दयाल प्यारी ने कांग्रेस का दामन थामा है। पच्छाद हलके से हालांकि वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गंगूराम मुसाफिर का लंबा राजनीतिक जीवन भी निर्विवादित रहा है। लेकिन लगातार तीन चुनाव हार जाने की वजह से ही कांग्रेस नए चेहरे की तलाश में जुटी हुई थी।
एक बड़ी चर्चा यह भी चल रही है कि अगर कांग्रेस ने दयाल प्यारी को मैदान में उतारा तो बीजेपी भी प्रत्याशी को बदलने पर विचार कर सकती है। उधर, शिलाई हलके में भाजपा को जिला परिषद के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। भाजपा के मद्देनजर नजरें इस बात भी टिकी है कि क्या पार्टी नए उम्मीदवार पर दांव खेलेगी। इस हलके में भी एक रिटायर्ड चीफ इंजीनियर बेहद ही सक्रिय नजर आ रहे हैं।
खैर, चुटकी बजाते ही चुनाव सामने आ जाएंगे। कुल मिलाकर यह भी तय है कि भाजपा की मिशन रिपीट की डगर आसान नहीं है।
हाल ही में दयाल प्यारी की कांग्रेस में एंट्री के तरीके को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल शिमला भी पहुंचा था। इस दौरान मुसाफिर समर्थकों ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष के समक्ष जमकर गुब्बार निकाला था। कांग्रेस के भीतर पैदा हुई इस खेमेबाजी को लेकर भाजपा की बांछे खिली हुई हैं।