हमीरपुर, 10 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल आज 77 वर्ष के हो गए हैं। हिमाचल प्रदेश में धूमल को सड़क वाले मुख्यमंत्री के तौर पर भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला से संबंध रखने वाले प्रेम कुमार धूमल हिमाचल में भाजपा की रीढ़ की हड्डी रहे हैं।
भारतीय जीवन बीमा निगम में सहायक के तौर पर अपने करियर की शुरुआत करने वाले हिमाचल प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का जन्म 10 अप्रैल, 1944 को हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में हुआ था। प्रेम कुमार धूमल पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्ध दोआबा कॉलेज (जालंधर) से स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के तुरंत बाद ही एलआईसी से जुड़ गए थे।
भारतीय जीवन बीमा निगम में काम करने के साथ-साथ प्रेम कुमार धूमल ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर और कानून की डिग्री भी प्राप्त कर ली। इसके बाद उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी इवनिंग कॉलेज और दोआबा कॉलेज, जालंधर में अध्यापन कार्य करना शुरू कर दिया। इनके परिवार में पत्नी शीला धूमल और दो पुत्र हैं। प्रेम कुमार धूमल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं। वह अपने नागरिकों के कल्याण के लिए हमेशा प्रयासरत रहते हैं।
हिमाचल भाजपा में एक समय प्रेम कुमार धूमल का सिक्का चलता था। नरेन्द्र मोदी हिमाचल के प्रभारी बने तो धूमल युग का उदय हुआ जिसकी चकाचौंध में शांता कुमार से लेकर जगत प्रकाश नड्डा तक हाशिए पर चले गए। आज वक्त बदला तो धूमल पार्टी में अकेले पड़ते जा रहे हैं। सुजानपुर में मिली हार को सहर्ष स्वीकार करने की बजाय धूमल अब अपने विरोधियों से आर पार की लड़ाई के मूड में आ गए हैं।
विरासत में नहीं मिली राजनीति
धूमल को राजनीति विरासत में नहीं मिली। वह पंजाब के जालंधर में दोआबा कॉलेज में अंग्रेजी पढ़ाते थे। कभी नहीं सोचा होगा कि राजनीति में आएंगे, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सपंर्क में आने के बाद हमीरपुर के गांवों में संगठन का झंडा उठाने लग गए। ठाकुर जगदेव चंद के निधन के बाद भाजपा में मजबूत राजपूत चेहरा बने तो 1998 में भाजपा की सरकार बनने पर पहली बार मुख्यमंत्री बने। उस समय धूमल सांसद थे।
प्रदेश में वीरभद्र की कांग्रेस सरकार थी और केंद्र में भाजपा की सरकार बननी तय थी। ऐसे में वीरभद्र सिंह ने 6 महीने पहले ही चुनाव करा दिये। भाजपा को हार का सामना करना तय था लेकिन उस समय नरेंद्र मोदी भाजपा के प्रभारी थे। प्रदेश में भाजपा का मुख्यमंत्री चेहरा बनने को कोई भी तैयार नहीं था। भाजपा के नेताओं को लग रहा था कि हारने से अच्छा है कि चेहरा बनने से इनकार कर दो। उस समय में धूमल ने आगे बढ़कर हामी भर दी।
चुनाव से 3 दिन पूर्व धूमल के नाम की घोषणा की गई। चुनाव परिणाम में सरकार बनाने के लिए सुखराम को हिमाचल विकास कांग्रेस का सहयोग लेना पड़ा ओर धूमल पहली बार मुख्यंमत्री बने। हालांकि गठबंधन में भाजपा की सरकार पूरे पांच वर्ष चलाई।
धूमल ने किया संगठन को मजबूत
2003 में भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा। उस वर्ष 2007 में भाजपा सांसद सुरेश चंदेल पर संसद में सवाल पूछने को लेकर रिश्वत लेने का मामला सामने आया। देश में भाजपा बैकफुट पर आ गई थी। हमीरपुर संसदीय सीट पर चुनाव हुआ कोई भी नेता भाजपा प्रत्याशी बनने को तैयार नहीं था। उस समय धूमल ने संगठन को मजबूत करने के लिए चुनौती को स्वीकार किया। धूमल ने कांग्रेस प्रत्याशी राम लाल ठाकुर को हरा दिया था। कोई भी इस बात को मानने को तैयार नहीं था कि हमीरपुर की सीट जीती जा सकती थी।