नाहन, 9 अप्रैल : हिमाचल में हालांकि रूसा प्रणाली को अब समाप्त किया जा चुका है, लेकिन इसकी विसंगतियों का खमियाजा अब भी युवाओं को भुगतना पड़ रहा है। इसका प्रमाण टीजीटी भर्तियां हैं।
शुक्रवार को युवाओं ने इस बाबत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल से भी मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा। 2013 से 2015 में स्नातक की शिक्षा में रूसा प्रणाली को लागू किया गया। इसे 2016 में बंद कर दिया गया। प्रणाली में नाॅन मेडिकल व मेडिकल में एक विषय कला का भी रखा गया। नाॅन मेडिकल में भौतिक व रासायनिक विज्ञान, गणित व भूगोल में से कोई तीन विषय रहे।
दूसरी तरफ मेडिकल संकाय में जियोलाॅजी बाॅटनी, रासायन विज्ञान व भूगोल में से कोई तीन विषय चुनने होते थे। रूसा प्रणाली में केवल क्रेडिट पर ध्यान दिया जाता था। केवल तीन विषयों में ही क्रेडिट पूरे होने चाहिए थे। लिहाजा, अधिकतर छात्रों ने भूगोल विषय को माइनर में पढ़ लिया। शिक्षकों ने भी मार्गदर्शन नहीं किया। कहा गया कि मेजर विषय महत्वपूर्ण है। ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद छात्रों ने बीएड कोर्स में भी दाखिला ले लिया। उस समय भी किसी ने विषयो पर ध्यान नहीं दिया। यहां तक की बीएड की काउंसलिंग में भी इस पर गौर नहीं किया गया, बल्कि दाखिला दे दिया गया।
बीएड कोर्स पूरा होने के बाद छात्रों ने टैट भी उत्तीर्ण कर लिया। इसके बाद कमीशन की तैयारी में जुट गए। कठिन परिश्रम के बाद कई छात्रों ने 2019 में कमीशन क्लीयर कर लिया, मगर साक्षात्कार में उन्हे रिजेक्ट कर दिया गया। आयोग ने आर एंड पी रूल्स का हवाला देते हुए कहा कि नाॅन मेडिकल में भौतिक विज्ञान, रासायन विज्ञान व गणित विषय होने चाहिए। इसी तरह मेडिकल में जियोलाॅजी, बाॅटनी व रासायन विज्ञान विषय पढ़ने वाले ही पात्र होंगे। हालांकि इसके बाद शिक्षा महकमे को भी अपनी गलती का अहसास हो गया।
बता दें कि करीब 10 हजार छात्रों ने गलत विषय में स्नातक की शिक्षा हासिल कर ली थी। इक्वोलेंस कमेटी ने नवंबर 2019 में अपनी रिपोर्ट प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय को सौंप दी थी। इसमें कहा गया कि विद्यार्थियों ने बेशक ही दो विषय काॅलेज में पढे हैं, मगर उन्होंने जमा दो तक मुख्य विषय में पढ़ाई की हुई है। कमेटी की सिफारिश को सरकार की मंजूरी के लिए भेजा गया, लेकिन हैरान कर देने वाली बात है कि इस पर आज तक कोई फैसला नहीं लिया गया। टीजीटी भर्ती 2020 का रिजल्ट भी 23 मार्च को घोषित किया जा चुका है। अप्रैल व मई में मूल्यांकन के लिए बुलाया गया है।
अब छात्रों को ये डर सता रहा है कि 2019 की तरह अब एक बार फिर उन्हें आयोग रिजेक्ट कर सकता है। सरकार को तुरंत ही आर एंड पी रूल्स में बदलाव करना चाहिए। राकेश, परमिंद्र, मनीष व काजल इत्यादि का कहना है कि वो इस मामले को लेकर बेहद ही तनाव से गुजर रहे हैं। सरकार को जल्द ही निर्णय लेकर आयोग को उचित दिशा-निर्देश देने चाहिए।