मंडी, 9 अप्रैल : मजबूरी के कारण हिमाचल प्रदेश सरकार बड़ा प्रशासनिक फेरबदल कर सकती है। मजबूरी शब्द का इस्तेमाल इसलिए हो रहा है, क्योंकि सरकार इस समय प्रशासनिक फेरबदल के पक्ष में नही थी, लेकिन मंडी संसदीय क्षेत्र में होने जा रहे उपचुनाव के चलते अब सरकार को यह फेरबदल करना पड़ रहा है।
चुनाव आयोग ने सरकार को प्रशासनिक फेरबदल करने की हिदायत जारी कर दी है। आदेश में साफ तौर पर लिखा है ऐसे सभी अधिकारियों को 20 अप्रैल से पहले तबादला किया जाए जिनका संसदीय क्षेत्र में तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। ऐसे में बहुत से प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी इसकी जद में आ रहे हैं।
मंडी संसदीय क्षेत्र के तहत हिमाचल प्रदेश के छः जिले आते हैं, जिनमें मंडी, कुल्लू, लाहौल स्पीति, चंबा, किन्नौर और शिमला शामिल हैं। जिन अधिकारियों को यहां तीन साल से अधिक का समय हो गया है, उन्हें तुरंत प्रभाव से बदलकर संसदीय क्षेत्र से बाहर तैनाती देनी होगी।
मसलन यदि किसी अधिकारी ने किन्नौर में सेवाएं दी और उसके बाद वह मंडी जिला में सेवाएं देने आया तो उसका दोनों स्थानों का कार्यकाल काउंट किया जाएगा और उसी आधार पर तीन वर्ष का कार्यकाल माना जाएगा। यही कारण है कि बहुत से अधिकारी अब तबादले की जद में आ रहे हैं। यदि सरकार इन अधिकारियों का तबादला नहीं करती है तो फिर चुनाव आयोग अपने स्तर पर इन्हें बदलने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
सरकार नहीं चाहती थी कोई फेरबदल
राज्य सरकार इस वक्त विकास की तरफ ध्यान दे रही है और सरकार किसी भी प्रकार के प्रशासनिक फेरबदल की हकदार नहीं थी। बड़ा प्रशासनिक फेरबदल विधानसभा चुनावों से ठीक पहले होना था। लेकिन अब उपचुनावों के चलते सरकार को यह कदम उठाना पड़ रहा है।
सांसद की मृत्यु के कारण हो रहा उपचुनाव
मंडी संसदीय क्षेत्र के सांसद राम स्वरूप शर्मा और कांगड़ा जिला की फतेहपुर विधानसभा से विधायक सुजान सिंह पठानिया के निधन के चलते यहां उप चुनाव हो रहा है। जल्द ही उपचुनावों को लेकर आचार संहिता लागू होने वाली है और सरकार को चुनाव आयोग ने 20 अप्रैल तक का समय दिया है।