नाहन, 9 अप्रैल : उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ महामाया बाला सुंदरी मंदिर त्रिलोकपुर में परोसे जाने वाले “लंगर व भोग” की गुणवत्ता ए प्लस ग्रेड की आंकी गई है। भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण( भारत सरकार) द्वारा करवाए गए ऑडिट में मंदिर के लंगर, भोग और प्रसाद को “ए प्लस ग्रेड” का पाया गया है। इसके लिए बाकायदा प्राधिकरण की तरफ से पहले प्री ऑडिट हुआ और उसके बाद फाइनल ऑडिट।
महामाया बाला सुंदरी ट्रस्ट को प्राधिकरण के मानदंडों के अनुसार 114 में से 105 अंक मिले हैं। गौरतलब है कि त्रिलोकपुर स्थित महामाया बाला सुंदरी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। लंगर, भोग तथा प्रसाद की जांच के लिए कुछ अरसे पहले एफएसएसएआई की टीम ने दौरा किया था। प्री ऑडिट में लंगर के बनने वाले भोजन को राशन कहां से खरीदा जाता है, कहां उसका भंडारण किया जाता है और कहां कैसे वातावरण में बनाया जाता है। इसको आधार मान कर अंक दिए गए।
इसके बाद सुधार के लिए निर्देश भी दिए गए थे। फाइनल ऑडिट में भोग, भोजन और प्रसाद बनाने वाले कर्मियों के मेडिकल भी किए गए। साथ ही स्वच्छता को लेकर भी अलग से अंक दिए गए। महत्वपूर्ण बात ये भी रही कि उस पानी की भी जांच की गई, जिससे यह सब तैयार किया जाता है। खाद्य सुरक्षा विभाग के सहायक आयुक्त ने पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि महामाया बाला सुंदरी मंदिर के लंगर, भोग और प्रसाद को ए प्लस ग्रेड मिली है। इसका सर्टिफिकेट भी जारी हो गया है।
मंदिर का इतिहास… ऐसा माना जाता है कि 1573 में महामाया बाला सुंदरी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद नामक स्थान से नमक की बोरी में त्रिलोकपुर आई थी। कहा जाता है कि एक बार त्रिलोकपुर और नाहन रियासत में नमक का अभाव हो गया था और ज्यादातर नमक सहारनपुर के देवबंद नामक स्थान से लाना पड़ता था। लाला जी जब भी सहारनपुर जाते तो भगवती त्रिपुरा बाला सुंदरी के दर्शन भी अवश्य करते थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर मां नमक की बोरी में उनके साथ यहां आई थी। उनकी दुकान त्रिलोकपुर में पीपल के वृक्ष के नीचे हुआ करती थी।
मां ने खुश होकर रात को लाला जी के सपने में आकर दर्शन दिए और कहा कि मैं आदिशक्ति श्री विद्या त्रिपुरसुंदरी हूं मैं तुम्हारे भक्तिभाव से अति खुश हूं, मैं यहां पीपल के वृक्ष के नीचे बाल रूप मे पिण्डी रूप में स्थापित हो गई हूं और तुम मेरा यहां पर भवन बनवाओ,लाला जी ने फिर माता की आराधना की और उनसे कहा कि इतने बड़े भवन निर्माण के लिए मेरे पास सुविधाओं व पैसे की कमी है।
इसके बाद मां ने भक्त की पुकार सुन ली और सिरमौर के राजा प्रदीप प्रकाश को सोते समय स्वप्न में दर्शन देकर भवन निर्माण का आदेश दिया। माता बाला सुंदरी पड़ोसी राज्य हरियाणा के अलावा उत्तर प्रदेश के लाखों परिवारों की कुलदेवी के रूप में भी आराध्य है। मंदिर ट्रस्ट द्वारा करीब 20 सालों में बेशुमार विकास कार्य किए है।