नाहन, 7 अप्रैल : हिमाचल के पांवटा साहिब उपमंडल के हरिपुर टोहाना में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा आयोजित महा पंचायत में किसान नेता राकेश टिकैत जमकर गरजे। देश के प्रधानमंत्री को निशाने पर लेने के अलावा पुलिस व सरकारी कर्मचारियों का दिल जीतने की कोशिश की।
टिकैत ने दो टूक शब्दों में कहा कि चाहे कोरोना का बाप भी आ जाए तो भी किसान आंदोलन बंद नही होगा। टिकैत ने कहा कि ये समझ लेना कि 2021 का साल आंदोलन का है। पहाड़ के किसानों को भी दिल्ली आंदोलन में शामिल होने की आवश्यकता है। टिकैत ने कहा कि किसान भाईयों को यह समझ लेना चाहिए कि बैठक या फिर रैली के लिए आपको कोई भी अनुमति नहीं मिलने वाली। हम भी रैलियों या आंदोलन के लिए कोई परमिशन नहीं लेते हैं।
किसान नेता ने केंद्र सरकार पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि ये समझ लो कि ये हमारा शाहिन बाग का आंदोलन नहीं है, जो कोरोना के आने से खत्म हो जाएगा। पश्चिम बंगाल का चुनाव निपटते ही सब कुछ सामान्य हो जाएगा। उन्होंने हिमाचल सरकार को भी सीधे शब्दों में कहा कि किसानों को ट्रांसपोर्ट सब्सिडी दी जाए, जंगली जानवरों का इलाज नहीं कर सकते तो नुक्सान का मुआवजा दिया जाए। उन्होंने कहा कि दिल्ली में चल रहे आंदोलन की स्थानीय कमेटियों को पहाड़ों में जाकर किसानों की समस्याओं से रू-ब-रू होना चाहिए।
ट्रिपल टी का नारा देते हुए टिकैत ने कहा कि ट्रैक्टर, टिवट्र व टैंक ही देश को बचाएंगे। उन्होंने कहा कि किसान ट्रैक्टर के लिए तैयार रहे तो युवा टिवट्र को हैंडल करें। वहीं देश का जवान टैंकर से दुश्मन देशों के दांत खट्टे करवाएगा। टिकैत ने सवाल उठाया कि 2004 के बाद सरकारी कर्मचारियों की पैंशन को बंद कर दिया गया है, लेकिन विधायकों व सांसदों की पैंशन जारी है।
टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि एलपीजी की सब्सिडी सरेंडर कर दो तो अब देश हित में सांसदों व विधायकों से पैंशन सरेंडर करने की अपील करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम भी धर्म को मानते हैं। मगर मोदी सरकार ने सात साल से देश को एक मंदिर के निर्माण में ही घुमा रखा है। टिकैत ने आरोप लगाया कि गुजरात में रिलायंस को 60 गांवों की जमीन आम की खेती के लिए दे दी गई। एक साजिश के तहत किसानों को सुप्रीम कोर्ट तक हरवा दिया गया।
सुरक्षा कर्मियों के बारे में टिकैत ने कहा कि वो 24 घंटे की डयूटी करते हैं, लेकिन अपने सरकारी आवास में माता-पिता को ले जाने में शर्माते हैं। वो जानते हैं कि सरकार के खिलाफ कुछ बोला तो चीन के बाॅर्डर पर ट्रांसफर हो जाएगा। टिकैत ने कहा कि आंदोलन को कुचलने के लिए एक गाइडलाइन बनी हुई है। कड़े शब्दों में टिकैत ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को किसान विरोधी तीनों कानूनों को वापस लेना होगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड व हिमाचल में तीन तरह का कलाईमेट है। इसमें किसान अपनी खेती करते हैं।
बता दें कि देर दोपहर बाद टिकैत रैली में पहुंचे थे। महा पंचायत को लेकर पुलिस ने भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हुए थे। संयुक्त किसान मोर्चा पांवटा साहिब इस महा पंचायत की सूत्रधार थी। टिकैत ने ये भी कहा कि वो मीडिया से नाराज नहीं हैं, क्योंकि वो जानते हैं कि कवरेज न करने को लेकर काफी दबाव है। इसमें स्थानीय नेता अनिंद्र सिंह नौटी, तपेंद्र सैनी, गुरविंद्र सिंह, तरसेम सिंह इत्यादि शामिल थे।
रैली में राकेश टिकैत के अलावा सरदार गुरनाम सिंह, बलबीर सिंह, अभिमन्यु, डाॅ. दर्शन पाल, ग्रेवाल व पूर्व विधायक करनेश जंग के अलावा विधायक राकेश सिंघा इत्यादि के भी मौजूद होने की जानकारी हैै। पुलिस ने महा पंचायत पर माउंटेड पुलसिंग व ड्रोन कैमरों से नजर रखने की व्यवस्था की हुई है।