मंडी, 7 अप्रैल : सोचिए, सरकार ने मंडी कस्बे को नगर निगम बना दिया है। शहरी विकास की व्यवस्था में नगर निगम सबसे बड़ी संस्था है। पहले चरण में नगर पंचायत, फिर नगर परिषद होती है। सबसे ऊपर नगर निगम की जिम्मेदारी रहती है। निश्चित तौर पर मंडी कस्बे को नगर निगम बनाने के लिए आसपास के ग्रामीण इलाकों को भी इसमें शामिल किया गया है।
विडंबना देखिए, नेला वार्ड में मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए सड़क सुविधा नहीं थी। इससे बुजुर्गों के साथ-साथ बुजुर्गों के साथ-साथ दिव्यांगों को खासी दिक्कत का सामना करना पड़ा। पहाड़ी राज्य के रिमोट इलाकों में ऐसी स्थिति सामान्य हो सकती है। लेकिन शहरों के आसपास बसे इलाकों में भी अगर ऐसी जद्दोजहद है तो गांवों में मूलभूत सुविधाओं की कल्पना कैसे की जा सकती है। वो भी तब जब मंडी जैसा कस्बा छोटी काशी के नाम से दूर-दूर तक मशहूर है।
चुनाव के मतदान में ऐसी तस्वीरें राज्य में धरातल पर विकास की पोल खोलती नजर आई। ये तो गनीमत रही कि मतदान के लिए आम लोगों ने भी बुजुर्गों व दिव्यांगों की तरफ मदद के हाथ बढ़ाए, तब जाकर वो वोट डाल पाए। कमाल की बात है कि मंडी मुख्यमंत्री का अपना गृह जिला है। साथ ही पंडित सुखराम जैसी हस्तियां मौजूद हैं, जिनकी तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में उतर चुकी है।
कांग्रेस के शीर्ष नेता कौल सिंह ठाकुर ने भी नगर निगम चुनाव में अपना वोट डाला। चुनाव प्रचार के दौरान भी कई ऐसे मुद्दे थे, जो राजनीतिज्ञों के लिए तमाचा था। खैर, अब उम्मीद की जानी चाहिए कि नगर निगम का दर्जा मिलने के बाद मंडी के साथ लगते क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी।