• Skip to primary navigation
  • Skip to main content
  • Team
  • Services
  • Contact
  • Matrimony

MBM NEWS NETWORK

Indian News

HPPR

  • होम
  • हिमाचल प्रदेश
    • सिरमौर
    • सोलन
    • मंडी
    • उद्योग
    • दुर्घटनाएं
    • उद्योग
    • खेलकूद
  • सामान्य ज्ञान
  • साहित्य
  • विडियो
  • फिल्मी दुनिया
    • मनोरंजन
  • राजनैतिक
  • मनोरंजन
  • युवा
  • क्राइम
  • नेशनल
  • अंतर्राष्ट्रीय 
You are here: Home / सिरमौर / जागो नाहन, प्रशासन नहीं रोकता हैवी वाहन तो जनहित याचिका हो सकती है विकल्प

जागो नाहन, प्रशासन नहीं रोकता हैवी वाहन तो जनहित याचिका हो सकती है विकल्प

April 6, 2021 by MBM News Network

नाहन, 6 अप्रैल : क्या, अब शहरवासियों को नींद से जागकर खुद को सुरक्षित रखने के लिए विकल्प तलाशने होंगे। ये गंभीर सवाल इस कारण उठ रहा है, क्योंकि प्रशासनिक व्यवस्था केवल मेड इन सिरमौर व वैश्विक महामारी में ही उलझ कर रह गई है। लिहाजा, ये बात भी चर्चा में आ गई है कि अगर प्रशासन शहर के बीचोंबीच व्यस्त समय में हैवी वाहनों के गुजरने के लिए समय निर्धारित नहीं करता है तो इसके लिए जनहित याचिका के विकल्प पर गौर किया जाए।

जागो नाहन, प्रशासन नहीं रोकता हैवी वाहन तो जनहित याचिका हो सकती है विकल्प

बार-बार अलार्म बज रहा है, लेकिन सरकारी व्यवस्था नींद से नहीं जाग रही है। वैसे तो चंद माह पहले आईटीआई के पास एक युवती की मौत के बाद भी सबक लिया जाना चाहिए था, लेकिन आंखें मूंद ली गई। अब फिर हादसे में एक व्यक्ति ने जान गंवाकर इस तरह इशारा किया है कि भारी वाहनों के लिए समय निर्धारित होना चाहिए। कारमल काॅन्वेंट स्कूल के समीप अक्सर ही भारी वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं। खुदा का शुक्र है कि अधिक जानी नुक्सान नहीं हुआ है।

नाहन के कार्मेल कान्वेंट स्कूल के समीप भीषण सड़क हादसा, एक की दर्दनाक मौत

सवाल इस बात पर भी उठता है कि क्या प्रशासनिक व सरकारी व्यवस्था इस कारण भी खामोश है कि शहर के भीतर भी भारी वाहन आने होते हैं। अगर प्रतिबंध लगा तो कानून सब के लिए बराबर बनाना पड़ेगा। गौरतलब है कि एक सप्ताह पहले भी रानी झांसी पार्क के समीप एक बाइक सवार ने बुजुर्ग महिला को टक्कर मार दी थी।

इसके अलावा कुछ साल पहले जेबीटी स्कूल के समीप भी पिकअप ने हरिपुरधार क्षेत्र के एक प्रधान को टक्कर मार दी थी। इसमें उनका निधन हो गया था, जबकि गर्भवती पत्नी बाल-बाल बची थी। अगर तीन साल के पहले के ट्रैफिक की मौजूदा परिवेश से तुलना की जाए तो स्थिति अधिक भयावक हो गई है।

बड़ी बात ये है कि सड़क हादसों में आरोपियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया भी काफी नरम है। गैर इरादतन हत्या के मामले में आरोपी को पुलिस के स्तर पर ही जमानत मिल जाती है। पिछले कुछ समय में एक नारा बुलंद होता भी नजर आया कि मेरा नाहन बदल रहा है। मगर धरातल पर शहर के बेकाबू टै्रफिक के कारण लोगों ने पैदल चलना तो करीब-करीब बंद ही कर दिया है। मजबूरी में अगर चलना भी पड़े तो अतिरिक्त सावधानी बरतनी पड़ती है। संकीर्ण मार्गों पर बसों की आवाजाही को भी इजाजत है।

आज जब हरेक घर में दो से तीन दोपहिया वाहन मौजूद हैं तो ऐसे में क्या रिंग रोड पर केवल मुद्रिका बस सेवा नहीं चलाई जा सकती। बाकी बसें बस स्टैंड से ही अपने गंतव्य की तरफ जा सकती हैं। केवल अपर सिरमौर की तरफ जाने वाली बसें भी दिल्ली गेट आएंगी। इसे बदलने की कोई भी गुंजाइश नहीं है, क्योंकि बाईपास या फिर टनल तो एक सपना है। ये स्पष्ट नहीं है कि उपायुक्त के स्तर पर सड़कों के किनारे पार्किंग को लेकर अधिसूचना कब जारी हुई थी।

बता दें कि हैवी वाहनों व आइडल पार्किंग इत्यादि को लेकर अधिसूचना को उपायुक्त के स्तर पर जारी करना होता है। सवाल इस बात पर भी उठता है कि जब पांवटा साहिब में वाहनों की आवाजाही निर्धारित करने की अधिसूचना एक रात में ही जारी हो सकती है तो सिरमौर के मुख्यालय में इसे जारी करने में क्यों चुप्पी साधी जा रही है।

Filed Under: सिरमौर, हिमाचल प्रदेश Tagged With: Himachal News In Hindi, Sirmour news



Copyright © 2021