नाहन, 4 अप्रैल : कहते हैं, हार के बाद जीत निश्चित होती है, बशर्ते शिद्दत से कोशिश की जाए। ये सफलता (Success) की कहानी एक ऐसे लड़के की है, जो 80 के दशक में चौगान मैदान के समीप मंदिर स्कूल में पढ़ा करता था। पिता यशपाल जसवाल चाहते थे कि वो मेडिकल (Medical) की पढ़ाई करने के बाद डाॅक्टर (Doctor) बने, लेकिन वो लड़का फेल हो गया, क्योंकि दिलचस्पी मेडिकल की पढ़ाई में नहीं थी।
करीब दो दशक से अमेरिका में सैटल सूरज जसवाल ने अपनी धुन को नहीं छोड़ा। पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) से साइकोलाॅजी (Psychology) की पढ़ाई करने के बाद सूरज को समर स्टडी प्रोग्राम के तहत 1998 में न्यूयार्क जाने का मौका मिला। बस यहीं से सूरज ने अपनी कामयाबी की इबारत लिखनी शुरू कर दी। 46 वर्षीय सूरज जसवाल मूलतः त्रिलोकपुर के रहने वाले हैं। कोठिया गांव में घर है।
कोविड (covid) संकट के दौरान लगभग एक साल तक अपना कार्य नाहन व त्रिलोकपुर से ही संचालित करते रहे। घर की मिट्टी की खूशबू बार-बार सूरज को घर खींच लाती है। सफलता की ये कहानी आज तक पहले सामने नहीं आई। लेकिन, अब उनके न्यूयार्क को चलाने वाली सिटी काउंसिल (City Council) के चुनाव में यूएसए में शासन कर रही डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) का कैंडीडेट बनने के बाद सफलता की छिपी दास्तां भी सामने आ गई है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से फोन पर सूरज जसवाल ने बेहद ही सहजता व शालीनता से लंबी बातचीत की। बता दें कि काउंसिल मैंबर चुनाव में इस बार 16 दक्षिण एशियाई उम्मीदवार हैं। इसमें पहली बार भारतीय मूल के 10 अमेरिकी भी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें से एक लड़का वो भी है, जो मेडिकल की पढ़ाई में फेल हो गया था। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि हौंसलें बुलंद हों तो लंबी उड़ान भरी जा सकती है।
स्वतंत्रता सेनानी के पौत्र…
दुनिया के शक्तिशाली देश अमेरिका में सफलता के पायदान पर आगे बढ़ रहे सूरज जसवाल के दादा दिवंगत नारायण सिंह जसवाल एक स्वतंत्रता सेनानी (Freedom fighter) थे। सूरज की मानें तो सुभाष चंद्र बोस के साथ स्वतंत्रता के लिए लंबा संघर्ष किया। आजाद हिन्द फौज की स्थापना के दौरान भी स्व. बोस के साथ रहे। उन्होंने कहा कि दादा जी का निधन 1998 में हुआ। तब तक वो अपने दादा जी से सुभाष चंद्र बोस जी की वीर गाथाओं को खूब सुना करते थे।
ये बोले….
क्मला व यशपाल जसवाल के घर जन्में सूरज ने बताया कि वो इस समय पर्यावरण कंसलटेंसी फर्म (Consultancy firm) में डायरेक्टर (ऑपरेशन) हैं। पर्यावरण संरक्षण के प्रति गहरा लगाव रखने वाले सूरज ने कहा कि 1982-83 में मंदिर स्कूल में तीसरी व चैथी की पढ़ाई की। शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में भी पढ़े। पिता चाहते थे, वो डाॅक्टर बनें लेकिन वो मेडिकल की पढ़ाई में फेल हो गए। इसके बाद चंडीगढ़ से पढ़ाई की।
स्टडी प्रोग्राम (Study program) में अमेरिका आए तो कड़ी मेहनत की बदौलत यूएसए की नागरिकता हासिल कर ली। डैमोके्रटिक पार्टी के उम्मीदवार बनने पर उन्होंने कहा कि यूएसए (USA) की चुनाव प्रणाली काफी भिन्न हैं। न्यूयार्क के 51 जिलों में 22 जून को चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उनका चुनाव 2 नवंबर 2021 को होगा। उन्होंने बताया कि न्यूयार्क में अप्रवासी समुदाय की संख्या में काफी तेजी आई है।
कैरियर व पढ़ाई को लेकर तनाव में आने वाले युवाओं को संदेश में कहा कि जीवन बेहद खूबसूरत है। उतार-चढ़ाव आते हैं, इनसे विचलित नहीं होना चाहिए। अपनी धुन में आगे बढ़ने की कोशिश करते रहना चाहिए। इसका उदाहरण वो खुद हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना लाॅकडाउन के दौरान करीब एक साल वो घर पर ही थे। आज भी शहर की गलियां, बाजार याद आते हैं।