घुमारवीं, 1 अप्रैल : हर कोई इस बात से बखूबी वाकिफ हो चुका है कि इस समय 21 साल 6 महीने की मुस्कान, देश की सबसे युवा जिला परिषद चेयरपर्सन है। मगर पर्दे के पीछे परिवार की गुरबत की दास्तां अब सामने आई है।
समाजसेवी पिता अमरजीत सिंह ने उदाहरण पेश करते हुए अपना नाम बीपीएल सूची से हटाने की अर्जी दी है। चुनाव प्रचार के दौरान ये बात तो सामने आ रही थी कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, लेकिन ये नहीं पता था कि परिवार गरीबी रेखा से नीचे का जीवन यापन कर रहा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से मुस्कान के पिता अमरजीत ने लंबी बातचीत की।
आर्थिक तंगी के बावजूद भी समाजसेवा…
कहते हैं, माता-पिता के परोपकारों का फल बच्चों को मिलता है। ऐसा इस परिवार के साथ भी बीता है। घर में खाने के लाले होने के बावजूद अमरजीत ने अपना परोपकारी स्वभाव नहीं बदला। दो बिस्वा भूमि के मालिक अमरजीत की संयुक्त जमीन में एक मोबाइल टावर से प्रतिमाह 4 हजार रुपए की आमदनी तीन भाईयों में बंटती रही। खुद भी छोटा-मोटा काम उस सूरत में कर लेते थे, जब समाजसेवा से समय लगता था।
परिवार की नेक सोच व लोगों में छाप ही वजह थी कि मुस्कान न केवल नन्हीं उम्र में चुनाव जीत गई, बल्कि पंचायतीराज संस्था की सबसे पावरफुल संस्था चेयरपर्सन की कुर्सी पर भी बैठ गई। निश्चित तौर पर ऐसा केवल करोड़ों परिवारों में एक के साथ होता होगा। पिता के समर्पण की बदौलत ही मुस्कान हाॅट सीट तक पहुंच गई। बिलासपुर जनपद के बरमाणा के रहने वाले परिवार ने कई सामाजिक कार्यों में अपनी पहचान बनाई है। अमरजीत का कहना है कि अब उनके स्थान पर कोई पात्र व्यक्ति इसका लाभ उठा सकता है।
मुस्कान की पगार…
पंचायतीराज संस्था की व्यवस्था के मुताबिक जिला परिषद के चेयरपर्सन को प्रतिमाह 12 हजार का मानदेय मिलता है। इसके अलावा ऑफिस, स्टाफ व वाहन की सुविधा भी होती है। बता दें कि निजी संस्थान से मुस्कान छात्रवृति के आधार पर विधि की पढ़ाई कर रही है। अंतिम समेस्टर की परीक्षाएं चल रही हैं। एक बहन जमा दो की पढ़ाई कर चुकी है, जबकि दूसरी बहन बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रही है। वहीं छोटा भाई छठी कक्षा में पढ़ रहा है। बता दें कि कई बिंदास बातों को लेकर भी मुस्कान चर्चा में आई थी। इसमें सबसे बड़ी बात नशाखोरी के खिलाफ तीखी टिप्पणी थी।
ये बोले पिता…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत करते हुए मुस्कान के पिता अमरजीत का ये कहना था कि ये बात उनका दिल ही जानता है कि कैसे तीन बेटियों व एक बेटे की परवरिश के लिए जूझते रहे। सबसे बड़ी बेटी का जिला परिषद अध्यक्ष बन जाना, सपने से कम नहीं था। उन्होंने कहा कि बेटी के जिला परिषद अध्यक्ष बन जाने से उनका परिवार बीपीएल सूची का पात्र नहीं रहा है। लिहाजा, अब नैतिकता के आधार पर इस सुविधा को छोड़ना जरूरी है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बीपीएल सूची में रहते हुए सस्ते राशन के अलावा एक बार आवास योजना का लाभ भी लिया है। उन्होंने माना कि परिवार में एक बच्चा कामयाब होता है तो सबकी किस्मत बदल देता है।