शिमला, 27 मार्च : देश भर में 50 लोकप्रिय पुलिस कप्तानों का चयन हो रहा हो। इसमें छोटे से पहाड़ी प्रांत के दो बिंदास पुलिस अधिकारियों को स्थान मिले, तो निश्चित तौर पर बड़ी बात है। हिमाचल प्रदेश पुलिस का गौरवान्वित होना भी बनता है। खाकी के लिए ये गौरव के पल साधारण परिवारों में जन्म लेकर आईपीएस बनी शालिनी अग्निहोत्री व मोहित चावला लेकर आए हैं।
एक मंडी की पुलिस अधीक्षक है तो दूसरे को शिमला की जिम्मेदारी मिली हुई है। दरअसल, फेम इंडिया मैग्जीन-एशिया पोस्ट सर्वे में देश के 50 लोकप्रिय पुलिस कप्तान-2021 का चयन किया गया है। 12 मापदंडों के तहत कार्यशैली को परखा गया। इसमें क्राइम पैट्रोल, लाॅ एंड ऑर्डर में सुधार, पीपल्स फ्रेंडली, दूरदर्शिता, उत्कृष्ट सोच, जवाबदेह कार्यशैली, अहम फैसले लेने की त्वरित क्षमता, सजगता, व्यवहार कुशलता इत्यादि को परखा गया।
वार्षिक सर्वे के अंतिम चरण में अब तक चयनित प्रमुख नामों में एसपी मंडी शालिनी अग्निहोत्री व एसपी शिमला मोहित चावला को शामिल किया गया है। बता दें कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के गृह जिला में शालिनी अग्निहोत्री को पहली लेडी एसपी बनने का गौरव भी हासिल हुआ है। अगस्त 2020 में शालिनी अग्निहोत्री ने मंडी में 53वें एसपी के तौर पर कार्यभार संभाला था।
गौरतलब है कि बस कंडक्टर की बेटी शालिनी अग्निहोत्री ने सिविल सेवा परीक्षा में 285वां रैंक हासिल किया था। कुल्लू में भी एसपी रहते हुए नशा माफिया की रीढ़ तोड़ने में सफल हुई थी। खास बात यह भी है कि सर्वश्रेष्ठ ऑल राउंडर महिला सब ट्रेनी भी रह चुकी हैं।
उधर शिमला के एसपी मोहित चावला की पहचान एक बिंदास अधिकारी के तौर पर भी तो होती ही है। साथ ही सौम्य स्वभाव व हैंडसम पर्सेनेलिटी भी पहचान का हिस्सा है। बेबाक व ईमानदार छवि के लिए पहचाने जाने वाले मोहित चावला अगस्त 2018 में तत्कालीन गर्वनर के पसंद भी बने थे। चूंकि पोस्टल क्लर्क से आईपीएस बनने तक का सफर तय किया है, यही कारण है कि वो आम लोगों की परेशानियों व दिक्कतों से बखूबी वाकिफ रहते हैं।
शिमला में बतौर एसपी अगस्त 2020 में पारी शुरू की थी। इससे पहले मंडी व सोलन में भी एसपी के पद पर रह चुके हैं।
28 साल की उम्र में आईपीएस बनने वाले मोहित चावला ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। 2001 में अंबाला में आई बाढ़ ने परिवार की आर्थिक स्थिति को हिलाकर रख दिया था। नौबत यह आ गई थी कि तीन साल तक कंप्यूटर सैंटर में टीचर की नौकरी करनी पड़ी थी। नौकरी के साथ-साथ आईपीएस की तैयारी आसान नहीं थी। पब्लिक ट्रांसपोर्ट में सफर करने के दौरान यूपीएससी की तैयारी किया करते थे।