रोनहाट, 27 मार्च : जिला के शिलाई विधानसभा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा चुकी है। मेडिकल ब्लॉक शिलाई में बीएमओ और चिकित्सकों सहित अस्पताल स्टॉफ के 44 पद खाली पड़े हुए हैं। जिसके चलते क्षेत्र के हजारों ग्रामीणों को इलाज के अभाव में भारी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है।
आपको बताते चले कि शिलाई मेडिकल ब्लॉक के अधीन आने वाले 5 स्वास्थ्य संस्थानों में सरकार द्वारा स्टाफ के कुल 80 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 44 पद रिक्त चल रहे हैं, जबकि महज 36 पदों पर ही कर्मचारी तैनात हैं। शिलाई विधानसभा क्षेत्र के सबसे बड़े नागरिक अस्पताल में चिकित्सकों के 8 पद स्वीकृत है, जिनमें से 5 पद रिक्त पड़े हैं और महज 3 चिकित्सक अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्टाफ नर्स, फार्मासिस्ट, वार्ड सिस्टर और अन्य अस्पताल स्टाफ की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिलाई के अस्पताल और ब्लॉक मुख्यालय में ही बीएमओ सहित कुल 32 पद रिक्त पड़े हुए हैं।
अब दुर्गम क्षेत्र के अस्पतालों का सूरत-ए-हाल भी आपको बताते है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोनहाट में 2 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही पूरे अस्पताल का जिम्मा संभाले हुए हैं। सिरमौर-शिमला और उत्तराखंड राज्य की करीब 26 ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीणों की सेहत का जिम्मा संभालने वाला ये अस्पताल बीते लंबे अरसे से बिना चिकित्सक के ही चल रहा है। रोनहाट अस्पताल में डॉक्टर के 2 पद स्वीकृत है और दोनों ही पद खाली पड़े हुए हैं। रोनहाट अस्पताल में स्टॉफ के कुल 9 पद रिक्त चल रहे हैं।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिम्बी में सरकार द्वारा चिकित्सक को तैनाती दी गई है। लेकिन ये जानकर आपको ताज्जुब होगा कि टिम्बी में अस्पताल के नाम पर एक टेबल और कुर्सी तक उपलब्ध नहीं है। वर्ष 2017 में सरकार द्वारा खोली गई शायद ये एकलौती ऐसी पीएचसी है, जो करीब 4 साल बाद भी कागजों से जमीन पर नहीं उतर पाई है। इसके अलावा क्यारी गुंडाह और नैनीधार के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी चिकित्सक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के अलावा अन्य सभी पद खाली पड़े हुए हैं।
आपको ये जानकर भी हैरानी होगी कि वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने शिलाई अस्पताल को सीएचसी से सिविल अस्पताल और रोनहाट के पीएचसी को सीएचसी में स्तरोन्नत किया था। मगर सीएम की घोषणा को 3 वर्षों से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी दोनों अस्पताल सिर्फ कागजों में ही अपग्रेड हो पाए हैं।
शिलाई के पूर्व विधायक और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के उपाध्यक्ष बलदेव सिंह तोमर ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से आग्रह किया है कि जल्द ही शिलाई मेडिकल ब्लॉक में खाली पड़े सभी पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए। बलदेव तोमर ने शिलाई में स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय हालत के लिए विधायक हर्षवर्धन चौहान को जिम्मेवार ठहराया है। उनका कहना है कि विधानसभा सत्र के दौरान शिलाई के विधायक द्वारा क्षेत्र की समस्याओं को नहीं उठाया जाता है।
उन्होंने आरोप लगाया कि हर्ष वर्धन चौहान शिलाई को छोड़कर प्रदेश के अन्य हिस्सों की समस्याओं को विधानसभा में उठाते है विधायक को शिलाई के लोग और उनकी समस्याएं सिर्फ चुनाव के दिनों में याद आती है।
शिलाई विधानसभा क्षेत्र के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि वर्तमान सरकार लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में असफल साबित हुई है। उनके द्वारा कई मर्तबा शिलाई की चरमराई स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर सदन में आवाज उठाई गई है। मगर हालात सुधारने को लेकर सरकार द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए है।
हर्ष वर्धन चौहान ने आरोप लगाते हुए बताया कि जय राम सरकार सिर्फ शिलान्यास पट्टिका लगाने वाली सरकार है। बीते 3 वर्षों के कार्यकाल में इस सरकार द्वारा केवल पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा तैयार करवाई गई योजनाओं के लोकार्पण किये है।
जल शक्ति विभाग से सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर और सामाजिक कार्यकर्ता बीर सिंह राणा ने बताया कि शिलाई में वर्तमान और पूर्व विधायक के कमजोर नेतृत्व की वजह से समूचे विधानसभा क्षेत्र के लाखों लोगों को ईलाज के आभाव में दर-दर भटकने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि कई मर्तबा समय पर बेहतर उपचार न मिलने के कारण लोगों को जान तक गंवानी पड़ती है।
बीर सिंह राणा ने आरोप लगाया है कि पूर्व विधायक और वर्तमान विधायक सिर्फ अपने निजी हितों को लेकर ही सरकार के मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मिलते है। आम लोगों की परेशानियों से वो लोग कोई इत्तेफाक नहीं रखते है।