हमीरपुर, 25 मार्च : बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में श्रद्धालुओं को दी जाने वाली रात्रि ठहराव व भोजन की सुविधा को एकदम से बंद किए जाने के निर्णय को लेकर मंदिर न्यास दियोटसिद्ध के अधिकांश न्यासी मंदिर प्रशासन के निर्णय पर ऐतराज जता रहे है। कोराना से एहतियात के नाम पर मंदिर प्रशासन ने जब श्रद्धालुओं से रात्रि ठहराव व लंगर की सुविधा को बंद किया, तो अधिकांश ट्रस्टी इस निर्णय को गलत निर्णय करार दे रहे है।
दियोटसिद्ध मंदिर के न्यासियों ने कहा कि इस वक्त चैत्र मास चला हुआ है व न्यास द्वारा इस वक्त श्रद्धालुओं को ज्यादा से ज्यादा सुविधा दी जानी चहिए, लेकिन मंदिर प्रशासन ने अतिरिक्त सुविधाएं देना तो दूर उल्टा पहले से दी जा रही सुविधाओं को अचानक से बंद करने का निर्णय लेकर भक्तों को परेशानी में डाल दिया है। न्यासियों ने कहा कि प्रशासन के निर्णय से अब श्रद्धालु ठहरने व खाने जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए जगह-जगह भटकने के लिए मजबूर है।
मंदिर न्यास दियोटसिद्ध के न्यासी सुरेश चौधरी, सोमदत शर्मा, रमेश शर्मा, नरेश शर्मा, रामेश्वरदत शर्मा व सरला शर्मा ने यहां जारी ब्यान में कहा कि मंदिर को नए शडयूल के मुताबिक रात को 9 बजे से लेकर सुवह 5 बजे तक बंद रखने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में जो श्रद्धालु रात को यहां पहुंचेंगे, उन्हें न तो रात को दर्शनों की सुविधा मिलेगी और सराए बंद होने के कारण न ही रात्रि ठहराव के लिए मंदिर की तरफ से कोई प्रबंध होगा। ऐसे में श्रद्धालु कहां जाएंगे यह बड़ा प्रश्न है।
न्यासियों ने कहा कि खाना व रहना मूलभूत सुविधाओं की श्रेणी में आता है व कोरोना से एहतियात के नाम पर मूलभूत सुविधाओं को छीनना किसी भी सूरत में जायज नहीं है। मंदिर न्यास के न्यासियों ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए दियोटसिद्ध में सारी व्यवस्था सरकार द्वारा जारी की गई, एसओपी के तहत चल रही है। श्रद्धालु मास्क समेत अन्य सभी सुरक्षा के नियमों का पालन भी कर रहे है।
यही वजह है कि दियोटसिद्ध में कोरोना के मामले में कोई बड़ा खतरा महसूस नहीं हुआ है, लेकिन बिना किसी ठोस वजह से अचानक श्रद्धालुओं को रहने-खाने जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित करना जायज नहीं है। उन्होंने कहा कि मंदिर न्यास का उदेश्य सुविधाएं बढ़ाना है, न कि सुविधाओं को छीनना। जहां तक कोरोना की बात है तो दियोटसिद्ध में सारी व्यवस्था सरकार की एसओपी में जारी गाइडलाइन के मुताबिक ही चल रही है। न्यासियों ने कहा कि यह निर्णय आनन-फानन में लिया गया है, इसलिए जिलाधीश हमीरपुर व मंदिर न्यास के कमिश्नर को इस निर्णय पर पुर्नविचार करना चहिए। ताकि मंदिर को करोड़ों रूपए का चढ़ावा देने बाले भक्तों को रहने-खाने जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित न होना पड़े।