नाहन,/ प्रकाश शर्मा : ‘‘अल्हड़ हूं…फुरसत से तराशना निखर जाऊंगा मैं!…. ये हमारी जिद थी खुद को अब तराशने की….तराशने का हुनर हो अगर तुम में…भूल जाएंगे खुद के वजूद को भी हम।
सही मायनों में इन पंक्तियों की कसौटी पर हिमाचल पुलिस के एएसआई नरदेव शर्मा सटीक साबित हो रहे हैं। आप ये जानकर दंग हो जाएंगे कि 20 साल से वो कठोर पत्थरों को तराश कर जान डालने में माहिर हैं। मगर पहली बार एएसआई नरदेव शर्मा का ये हुनर सामने आया है। लग्न व परिश्रम से पत्थरों को तराश कर देवी-देवताओं की मूर्तियों को ऐसा स्वरूप प्रदान कर देते हैं, मानों बोल पड़ेंगी।
लाजमी तौर पर आपके जहन में एक सवाल ये भी उठेगा कि जब 20 साल तक ये बात किसी को पता नहीं थे तो अचानक क्या हुआ। हुआ यूं कि एएसआई नरदेव शर्मा शुक्रवार को पत्थरों को तराश कर बनाई गई भगवान परशुराम, शिव व हनुमान की मूर्तियों को दिखाने पुलिस अधीक्षक केसी शर्मा के कार्यालय पहुंचे। वहीं से इसकी जानकारी एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली। इसके बाद एएसआई नरदेव शर्मा से एमबीएम न्यूज की लंबी बातचीत हुई।
उल्लेखनीय है कि इस समय एएसआई नरदेव शर्मा आईआरबी की छठी बटालियन में सेवारत हैं। जल्द ही सब इंस्पेक्टर के पद पर पदोन्नति मिलने की भी उम्मीद है।
ऐसा 20 साल पहले हुआ…
एसपी कार्यालय परिसर में करीब 20 साल पहले मंदिर का निर्माण शुरू हुआ। पत्थरों के सनम के नाम से विख्यात माता राम इस मंदिर के निर्माण के लिए पत्थरों की गढ़ाई में लगे हुए थे। हरेक पत्थर पर मंत्रों को बखूबी उकेरा गया है। बता दें कि ये मंदिर भी बेजोड़ कला का नमूना है। उस समय कांस्टेबल के पद पर तैनात नरदेवा शर्मा, माता राम के संपर्क में आ गए।
मन में इस बात को ठान ली कि अगर वो पत्थरों की गढ़ाई इस तरीके से कर सकते हैं तो वो क्यों नहीं। यही एक टर्निंग प्वाइंट था। धारटीधार के रहने वाले माता राम अब कुछ सालों से पत्थरों की गढ़ाई नहीं कर रहे हैं मगर एएसआई नरदेव शर्मा इस कला को जीवित रखने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं।
ये बोले…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में हिमाचल पुलिस के एएसआई नरदेव शर्मा ने कहा कि करीब 30 साल में कई मूर्तियां बना चुके हैं। इसे हासिल करने की चाहत रखने वाले को वो निशुल्क मूर्ति प्रदान करते हैं। आज तक इसकी कोई कीमत नहीं ली गई। पत्थर के चयन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि मूर्ति बनाने के लिए पत्थर को तलाशना बेहद ही जटिल कार्य होता है। अगर आप पत्थर का चयन सही कर लेते हैं तो इसका निर्माण आसान हो जाता है।
उन्होंने बताया कि एक से दो फुट ऊंची मूर्ति बनाते हैं। इसका वजन 10 से 15 किलो के बीच होता है। उन्होंने कहा कि मूर्ति को बनाने के लिए महीनों लग जाते हंैं। इसमें संयम ही आपकी परीक्षा होता है। हथौड़ी व छेनी से पत्थर को एक आकार में ढ़ाला जाता है।