हरिपुरधार/सुरेंद्र चौहान
शिमला और सिरमौर के सरहद पर समुद्र तल से 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। धार्मिक भावनाओं की दृष्टि से यह पावन पवित्र स्थल अत्यंत प्रसिद्ध एवं विख्यात है। उत्तरी भारत में यह पावन स्थल पांचवें धाम के रूप में जाना जाता है। आस्था की दृष्टि से बहुत ही शक्तिशाली व पूज्य स्थलों में एक है।
अधिक ऊंचाई वाली चोटी पर इन दिनों काफी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंच रहे है। ऐसी स्थिति में प्रशासन को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उसके बाद भी लोग बर्फीली हवाओं के बीच जान को जोखिम में डालकर चूड़धार पहुंच रहे हैं।
हर वर्ष बैसाखी पर खुलते है मंदिर के कपाट
चूड़धार मंदिर के पुजारी बाबू राम शर्मा ने बताया कि हर वर्ष बैसाख की संक्रांति के अवसर पर शिरगुल महाराज मंदिर चूड़धार के कपाट खोले जाते है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी निरंतर प्रक्रिया के अनुरूप मंदिर में पूजा अर्चना की जायेगी।
उन्होंने बताया कि कोई भी यात्री अभी चूड़धार की यात्रा न करें यहां अभी किसी भी तरह की कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। किसी भी तरह से यात्रा करना संभव नहीं। प्रशासन की रोक के बावजूद भी लोग अपनी जान जोखिम में न डालें। यात्रा जब आरंभ हो जायेगी तो सर्वसाधारण को सुचित कर दिया जायेगा।