शिमला, 18 मार्च : हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश राजकोषीय उत्तरादित्व और बजट प्रबंध (एफआरबीएम) संशोधन विधेयक 2021 पारित कर दिया है। विपक्षी दल कांग्रेस और माकपा के विधायकों ने इस बिल को पारित करने के विरोध में सदन से वाकआउट किया। इस बिल में कर्ज की सीमा को 3 से 5 फीसदी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया।
प्रदेश सरकार ने कर्ज़ लेने की सीमा को बढ़ा दिया है। सत्तापक्ष ने जैसे ही इस बिल को पारित किया, वैसे ही विपक्ष ने कर्ज़ के मुद्दे पर प्रदेश सरकार की घेराबंदी की।
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि आज के दिन को प्रदेश के इतिहास में काले दिन के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने सरकार से इस बिल को वापस लेने और पुनर्विचार के लिए सेलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी। अग्निहोत्री ने कहा कि जीएसटी की वसूली में कमी के कारण प्रदेश को हो रहे राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए प्रदेश सरकार को मंत्रिमंडल और विपक्ष को साथ लेकर प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री और वित्त राज्य मंत्री से दिल्ली में जाकर विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए, ताकि राज्य को कर्ज के और बोझ तले दबने से बचाया जा सके।
वहीं माकपा के राकेश सिंघा ने एफआरबीएम एक्ट में संशोधन का विरोध करते हुए कहा कि प्रदेश की ऋण लेने की सीमा को बढ़ाकर सरकार राज्य की देनदारियों का बढ़ा रही है और इन्हें चुकता करने के लिए सरकार भविष्य में राज्य की जनता पर करों का बोझ बढ़ाएगी।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की गैर मौजूदगी में शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2012 से वर्ष 2015 के बीच ऋण लेने की तय सीमा का उल्लंघन किया, जबकि वर्ष 2019-20 में जीएसटी की वसूली की कमी के चलते हिमाचल ही नहीं देशभर के राज्यों को ऋण लेने की सीमा केंद्र सरकार के निर्देशों के अनुसार बढ़ानी पड़ी है। इस बढ़ी हुई सीमा को नियमित करने के लिए कानून में यह संशोधन किया गया है।
भारद्वाज ने कहा कि एफआरबीएम एक्ट में संशोधन पूर्व कांग्रेस सरकार की गल्तियों को ठीक करने को किया गया है।