सुंदरनगर,15 मार्च : हिमाचल प्रदेश में इंडो-जर्मनी एग्रीकल्चर प्रोजेक्ट के तहत वर्ष 1969 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. वाईएस परमार के द्वारा मंडी के मिल्क प्लांट चक्कर का शिलान्यास किया गया था। तब मिल्क प्लांट हजारों लोगों को रोजगार देने के साथ राज्य के 48 हजार दूध पालकों के लिए कमाई का जरिया बना है।
मिल्कफेड के चक्कर मिल्क प्लांट के द्वारा वर्ष 1972 में अपने शुरुआती दौर में 10 हजार लीटर दूध को प्रतिदिन प्रोसेस करने की क्षमता थी, जो वर्ष 1997-98 के बाद 20 से 25 हजार तक पहुंच गई। 2020 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के द्वारा चक्कर में आधुनिक सुविधाओं और मशीनरी से लेस 50 हजार लीटर प्रतिदिन की क्षमता से निर्माणाधीन नए प्लांट का शिलान्यास भी किया गया है। वहीं इस नए प्लांट के लगने के बावजूद मिल्क प्लांट चक्कर में पुरानी मशीनरी से भी कार्य लगातार जारी रहेगा।
प्रदेश में 22 मार्च से लगाए गए लॉकडाउन के दौरान भी मिल्क प्लांट चक्कर ने देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया। लॉकडाउन के दौरान कई प्रदेशों में जहां दूध उत्पादकों से संबंधित मिल्क फेडरेशन और सोसाइटी के द्वारा दुग्ध उत्पादकों से दूध लेना बंद करने के अलावा दूध के रेट गिरा दिए गए। इस कारण किसानों को अपना दूध फेंकने तक की नौबत आ गई थी। वहीं मिल्क प्लांट चक्कर ने प्रदेश सरकार के द्वारा 2020-21 बजट में दुध की खरीद में 2 रूपये बढ़ाने के आदेश को मनाते हुए दुग्ध उत्पादकों को प्रतिमाह निरंतर पैसों का भुगतान भी किया गया। इससे मिल्क प्लांट चक्कर के नाम देश में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हो चुकी है।
मिल्क प्लांट चक्कर में मिल्कफेड के द्वारा पेटेंट करवाया गया ‘हल्दी मिल्क’ और आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को दी जाने वाली पंजीरी का उत्पादन संपूर्ण हिमाचल के लिए किया जाता है। इसके अलावा मिल्क प्लांट चक्कर में पनीर, दूध, दही, मक्खन, खोआ, फ्लेवर्ड मिल्क सहित अन्य कई उत्पादों का उत्पादन होता है।
उत्पादों को तैयार कर बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू और मंडी सहित अन्य जगहों के लिए सप्लाई किया जाता है। वहीं मिल्क प्लांट चक्कर में आंगनबाड़ी केंद्रों में सप्लाई होने वाली सेवियों का भी उत्पादन होता है।मिल्क फेडरेशन के चेयरमैन शर्मा ने कहा कि चक्कर मिल्क प्लांट को एनिमल हसबेंडरी द्वार 1972 में शुरू किया गया, लेकिन सन 1988 में हिमाचल प्रदेश में मिल्कफेड का गठन किया गया और यहां पर दूध आना शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि मिल्क प्लांट में पहले हर रोज 10 हजार लीटर दूध के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। लेकिन मौजूदा समय में हर रोज 20 से 25 हजार लीटर दूध के प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गर्मियों में यह सख्या बढ़ जाती है और रोज 50 हजार लीटर दूध के प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं।
निहाल चंद शर्मा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मिल्क फेडरेशन के 10 प्लांट हैं, जिसमें हर रोज 1 लाख 35 हजार लीटर दूध के विभिन्न प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि 19-20 के टर्नओवर की बात की जाए तो मिल्क फेडरेशन हिमाचल प्रदेश का टर्नओवर लगभग 132-33 करोड़ के बीच रहा है।
निहाल चंद शर्मा ने कहा कि 22 मार्च 2020 से देश में लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई, लेकिन उसके बावजूद भी मिल्क फेडरेशन ने अपने 48 हजार दूध उत्पादकों को दूध के बढ़े हुए मूल्य के हिसाब से राशि दी। उन्होंने कहा कि पूरे देश में डेयरी सेक्टर में कई राज्यों ने लोगों को दूध के बढ़े हुए मूल्य नहीं दिए लेकिन हिमाचल प्रदेश एकमात्र राज्य है जिसमें दूध उत्पादकों को बढ़े हुए मूल्य के हिसाब से दूध की राशि वितरित की। और बाजार में भी दूध की कमी नहीं होने दी।
मिल्क प्लांट चक्कर के प्रभारी राकेश पाठक ने बताया कि चक्कर मिल्क प्लांट में 8 से 9 प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जाते है जिसमे घी, मक्खन, पनीर, सहित हल्दी फ्लेवर्ड मिल्क तैयार किया जाता है, जिसका कोरोना काल में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा लांच किया गया था। उन्होंने कहा की इस के साथ ही मिल्क प्लांट में मध्य प्रदेश के आंगनबाड़ी केंद्र को सेमियां और पंजीरी वितरित की जाती है।