नाहन , 7 मार्च : अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर स्पेक्ट्रम आफ आर्ट ने नाहन में साहित्यिक सम्मेलन आयोजित किया। जिसकी अध्यक्षता ओपन लैटर के प्रकाशक दलबीर सिंह खालसा ने की। जबकि मंच का संचालन वरिष्ठ कवि भुवन जोशी ने किया। कार्यक्रम का आगाज दलबीर सिंह खालसा एवं अन्य कवियों ने सरस्वती देवी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके किया।
इसके बाद अर्चना शर्मा ने दो-चार दिन और.., कहानी प्रस्तुत की। जिसे सभी ने सराहा। मोहम्मद क्यूम ने पगली.., सरला गौतम ने बिखरती पाजेब.., कविता से समां बांधा। श्रीकांत अकेला ने सजती हैं, संवरती हैं बेटियां.., और भुवन जोशी ने खूब खिलौने उसके पास हैं, बिटिया रानी बड़ी उदास है.., से रंग जमाया। चिरआनंद ने ये भारत है…, दलीप विशिष्ट ने सुुनो.., मुझे तुमसे इसलिए भी प्यार हो गया था.., शून्य विनोद ने छोडो रे अजन्मी की जान लेना.., कविताएं सुना कर श्रोताओं का मनोरंजन किया।
युवा शायर जावेद उल्फत ने तआल्लुक जोड़ कर रखने में ये ही मसअला है, उसी में जोड़ होता है कि जो टूटा हुआ है.., से खूब दाद पाई। पंकज तन्हा ने कपडे की व्यथा.., और दीप चंद कौशल ने ऐसे बसी हो तुम मेरे मन में.., गीत सुनाकर रंग जमाया।
पंजाहल से आए युवा गायक राकेश तोमर ने बहुत खूबसूरत है मेरा सनम, खुदा ऐसे मुखड़े बनाता है कम.., गीत सुनाकर खूब तालियां बटोरीं। वरिष्ठ शायर नासिर यूसुफजई ने बिजलियों मैने क्या बिगाड़ा था, जो नशेमन मेरा जला ड़ाला.., गजल से दाद पाई। इस मौके पर युवा गायिका प्रतिभा शर्मा ने मां ओ मां.., गीत सुनाया। जबकि आयोजक शबाना सैय्यद ने विश्व स्तर पर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाए जाने के कारण पर प्रकाश ड़ाला।
अंत में जनवादी महिला संतोष कपूर ने कवियों ने क्रांति का आह्वान किया। इस दौरान आयोजक मंडल में शामिल शबाना सैय्यद एवं नेहा सैय्यद की ओर से प्रस्तुति देने वाले सभी कवियों एवं महिलाओं को पुरस्कृत भी किया।
कार्यक्रम दौरान अंजुम, संगीता, राहुल, नेहा सैय्यद, मधु अग्रवाल, नीति अग्रवाल, पूजा तोमर, नीलम सैनी, अलका गुप्ता, अलका अग्रवाल आदि मौजूद रहे।