नाहन, 7 मार्च : ऐतिहासिक शहर के मंदिर भी प्राचीन हैं। अधिकतर मंदिरों का निर्माण रियासतकाल के वक्त ही हुआ। पिछले तीन दशक की बात करें तो कुछ नए मंदिर भी बने हैं। हैरिटेज टाउन के उत्तर-पूर्व में काली का मंदिर है। इस प्राचीन मंदिर को कालीस्थान भी कहा जाने लगा है।
क्षत्रियों में काली को युद्ध की देवी माना गया है। इस कारण भी हर जगह पूजा की जाती है। शहर में काली के मंदिर का निर्माण 1830 (विक्रमी सम्वत् 1887) में राजा विजय प्रकाश ने करवाया था। इस मंदिर की मूर्ति को कुमाऊं वाली रानी साहिबा ही कुमाऊं से लेकर आई थी। इसके बाद ही राजा विजय प्रकाश ने मंदिर के निर्माण का फैसला लिया था।
मंदिर में पूजा के लिए जोगीनाथ महंत को गद्दी सौंपी गई थी। मंदिर परिसर में ही 24 भुजा देवी मंदिर का निर्माण राजा फतेह प्रकाश ने करवाया था। इसे आज श्रद्धालु बाला सुंदरी माता कहकर भी पूजते हैं। 24 भुजा वाली देवी के मंदिर के पहले महंत बाबा भृडंग नाथ कनफटा योगी थे। इसके बाद आमनाथ, फिर तोपनाथ महंत बने। इसके बाद ज्वाला नाथ व वीरनाथ ने भी गद्दी को संभाला।
महंत जगन्नाथ की मृत्यु के बाद उनका चेला कार्यवाहक के रूप मेें भी कार्य करता रहा। स्वभाव सही न होने की वजह से राजा ने उसे महंत नियुक्त नहीं किया था। राजा ने उन शक्तियों को मोतीनाथ नामक साधु को दे दिया, जो संस्कृत भाषा का ज्ञान भी रखता था। बताते हैं कि सिरमौर रियासत के शासकों द्वारा मंदिरों व धार्मिक अनुष्ठानों में गहरी रूचि ली जाती थी।
मां बाला सुंदरी माता त्रिलोकपुर का हूबहू मंदिर आज भी शाही महल में है। शहर के पहले महंत का दर्जा बाबा बनवारी दास जी को प्राप्त है, जो शहर की स्थापना के वर्ष में ही हुए। कालीस्थान मंदिर के एक छोर पर वट वृक्ष के नीचे हनुमान जी की भव्य प्रतिमा है। इसकी प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कोई सटीक जानकारी नहीं है।
अलबत्ता, इतना जरूर है कि शहर के ही कुछ लोगों द्वारा कालीस्थान मंदिर के मूल जगह पर मूर्ति की स्थापना की गई थी। इसके अलावा शनिदेव की नई मूर्ति की स्थापना कुछ साल पहले की गई थी।