नाहन, 1 मार्च : औद्योगिक क्षेत्र गोंदपुर में दंपत्ति अपनी पांच बेटियों को उच्चशिक्षा प्रदान करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। घर पर रहकर खेती से यह संभव नहीं था तो पिता कंठी राम व माता विजरा देवी पांवटा साहिब में निजी कंपनी में मजदूरी करने लगे ,ताकि बेटियों के उच्चशिक्षा हासिल करने का सपना अधूरा न रह जाए। माता-पिता की कोशिश रंग लाने लगी है।
कांटी मशवा पंचायत के मशवा गांव की रहने वाली 25 वर्षीय अंजना देवी ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (HPU) में हिन्दी एमफिल की परीक्षा में टाॅप किया है। अब आगे पीएचडी करना चाहती है। सबसे बड़ी बेटी की इस कामयाबी पर माता-पिता गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अंजना की छोटी बहन भी काबिल है। बीएससी करने के बाद बीएड कर रही है, जबकि एक गैजुएशन (Graduation) की पढ़ाई पांवटा साहिब डिग्री काॅलेज से कर रही है।
चौथे नंबर की बहन जमा एक की शिक्षा ग्रहण कर रही है तो सबसे छोटी सातवीं कक्षा में पढ़ रही है। यूजीसी (UGC) की नेट परीक्षा तीन बार उत्तीर्ण कर चुकी है, मगर तब तक अंजना कोशिश जारी रखेगी, जब तक जेआरएफ (JRF) न हो जाए। बता दें कि अंजना के तीन शोध पत्र (Research Papers) भी राष्ट्रीय जरनल (National Journal) में प्रकाशित हो चुके हैं। इनमें से दो राजभाषा से जुड़े हैं जबकि एक नारी विमर्श विषय पर है।
मार्गदर्शक डाॅ. भवानी सिंह के नेतृत्व में अंजना देवी ने हिमाचल सचिवालय में राजभाषा हिन्दी का कार्यान्वयन विषय पर शोधपत्र भी लिखा है। इसमें अंजना ने पाया कि सरकारी क्रियाकलापों में हिन्दी पराई हो जाती है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में अंजना ने कहा कि वो जब टिम्बी स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ रही थी, तभी भाषा में महारत हासिल करने का जुनून (Passion) पैदा हो गया था। अगर काॅलेज में विषयों का समन्वय न बनता तो वो निजी तौर पर भी पढ़ाई करने को तैयार हो गई थी। उनका कहना था कि वो अपने माता-पिता पर गर्व महसूस करती है जो अपनी जरूरतों को त्याग कर दिन-रात बेटियों को पढ़ाने में जुटे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि गुरु के बगैर ज्ञान हासिल करना मुश्किल होता है। वो अपने शिक्षकों (Techers) व मार्गदर्शक का भी दिल से आभार प्रकट करती हैं, जिनके सानिध्य में रहकर वो अपना लक्ष्य हासिल करने की तरफ अग्रसर है।