घुमारवीं, 27 फरवरी : हिमाचल प्रदेश में मौसम के मिज़ाज बदल रहे हैं। लेकिन मौसम किसानों और बागबानों के लिए कहर बनकर आया है। अगर बारिश नहीं होती तो हिमाचल प्रदेश में सूखाग्रस्त घोषित करना पड़ेगा। इस बार बारिश व बर्फबारी कम रही ज़मीन में नमी खत्म हो चुकी है।
पिछले दो महीनों से बारिश न के बराबर ही हुई है, जिसका असर गेहूं की फसल के साथ गोभी, आलू, प्याज के उत्पादन पर भी पड़ा है। एक तरफ जहां लोगों की कमर बढ़ती कीमतों और महंगाई ने तोड़ दी है। उस पर बारिश न होने के कारण किसानों और बागबानों की परेशानी बढ रही है। अगर बारिश न हुई तो रोजी-रोटी के भी लाले पड़ जाएंगे, क्योंकि गेहूं की फसल सूख रही है।
हिमाचल प्रदेश में किसान गेहूं की बिजाई पर हजारों रुपए खर्च करते हैं। सिंचाई की सुविधा नाम मात्र की है और अगर यही हाल रहा तो चिंता बढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि अगर फसल नहीं होती है तो अनाज तो दूर की बात है पर पशुओं के लिए चारे तक की समस्या की नौबत आ जाएगी। इतना ही नहीं बारिश कम होने के कारण अभी से ही पेयजल की समस्या शुरू होने लगी थी।
फसल सूख रही है और इंद्र देव कुछ बूंदें बरसा कर लोगों के साथ छलावा कर रहे हैं। किसान मायूस हो गया है और मौसम अपना रंग दिखाने लगा है। मौसम के तेवर देखकर किसान संगठन सक्रिय हो रहे हैं। सरकार से किसान और बागबानों के हितों की पैरवी करने लग गए हैं ताकि किसानों को मौसम की मार से होने वाली हानि का भुगतान सरकार से करवाया जा सके।