सराहां, 23 फरवरी : देश को पहली शी हाॅट (SHE-HAAT) देने वाबागपशोग पंचायत चंद रोज से पानी के टैंक के निर्माण की आड़ में कथित तौर पर 8 लाख के घोटाले को लेकर चर्चा में है। विभाग को मौके पर टैंक की बजाय गड्ढा मिला हैै। हुआ यूं कि 2018-19 में पंचायत में करीब 10 लाख रुपए की राशि से टैंक के निर्माण को मंजूरी दी गई।
24 मार्च को समूचे देश में लाॅकडाउन (Lockdown) हो गया। 31 अगस्त 2019 से 25 मार्च 2020 के बीच रेत व बजरी इत्यादि की सप्लाई (Supply) की एवज में भारद्वाज कंस्ट्रक्शन व मित्तल ट्रेडर को 7 लाख 99 हजार 972 रुपए बिलों के भुगतान की एवज में जारी कर दिए गए।
सवाल यह उठ रहा है कि जब सामग्री खरीदी ही नहीं गई तो इसका भुगतान क्यों किया गया। इसमें भाजपा समर्थित पूर्व प्रधान की नीयत पर सवाल उठाया जा रहा है।
इसी बीच एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक मामले के तूल पकड़ने के बाद पंचायतीराज विभाग (Panchayati Raj Department) के निदेशक ने इस मामले में रिपोर्ट तलब की है। जांच को लेकर पच्छाद की खंड विकास अधिकारी पुष्पा देवी ने मौके का जायजा लिया।
बताया जा रहा है कि बीडीओ (BDO) को भी लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा। यह भी बताया जा रहा है कि उपायुक्त के माध्यम से निदेशक को रिपोर्ट भेजी जानी है। इसी को लेकर बीडीओ द्वारा देर शाम तक भी रिपोर्ट बनाने का कार्य किया जा रहा था।
गौरतलब है कि राशि को ट्रांसफर (Transfer) करने से जुड़ा एक पत्र भी सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें तिथि के क्रमवार राशि के ट्रांसफर का जिक्र किया गया है। सूत्रों ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को यह भी बताया कि इस पंचायत में फंड की कोई कमी नहीं है।
उधर, पच्छाद की बीडीओ पुष्पा देवी ने एमबीएम न्यूज से बातचीत में माना कि निदेशालय (Directorate) द्वारा रिपोर्ट तलब की गई है। उनका कहना था कि जांच के दौरान मौके के निरीक्षण के अलावा पूर्व पंचायत प्रधान प्रकाश भाटिया के अलावा सामग्री के सप्लायर्स (Suppliers) के बयान भी कलमबद्ध किए गए हैं।
इसी बीच पूर्व पंचायत प्रधान व सप्लायर ने सराहां में एक पत्रकारवार्त्ता में तमाम आरोपों को निराधार बताया। पत्रकारवार्त्ता में रेत-बजरी व सरिया विक्रेता भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि पंचायत के रिस्तर गांव में टैंक निर्माण की एवज में 8 लाख रुपए की राशि के गबन का आरोप गलत है। उनका कहना था कि टैंक की स्वीकृति अप्रैल 2020 में आई थी। जबकि मार्च के अंतिम महीने में लाॅकडाउन लग चुका था।
शुरूआती दौर में मनरेगा (MANREGA) के तहत 5 लोगों को ही कार्य करने की अनुमति दी गई थी। लेकिन इस टैंक के निर्माण में 15 की आवश्यकता थी। चुनाव आचार संहिता लगने के कारण भी निर्माण नहीं हो सका। उनका कहना था कि 11 फरवरी को पंचायत की बैठक में ये फैसला लिया गया था कि पूर्व पंचायत प्रधान द्वारा शुरू किए गए कार्यों को 31 मार्च तक पूरा किया जाएगा। इसके आधार पर वो कार्य को पूरा करने में लगे हुए हैं।