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बुरांस के फूलों से लकदक हुए हिमाचल, जानिए इससे जुडी खास बातें 

February 22, 2021 by MBM News Network

धर्मशाला, 22 फरवरी : प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हिमाचल प्रदेश अपने हरे-भरे जंगलों, कल-कल बहते नदी-नालों, ब़र्फ से लदे पहाड़ों और बेशकीमती जड़ी-बूटियों की वजह से विश्व के मानचित्र पर अपनी विशेष पहचान रखता है।

हिमाचल के जंगलों में कई ऐसे फल-फूल और जड़ी-बूटियां मौजूद हैं, जो अपने विशिष्ट गुणों के कारण कई बिमारियों में रामबाण का काम करते हैं। ऐसे ही विशिष्ट गुणों से भरपूर है बुरांस के फूल, जो जनवरी माह के अंत तक जंगलों में खिलना आरम्भ हो जाते हैं। इसके विशिष्ट गुणों के चलते लोग साल भर इसके खिलने का इंतज़ार करते हैं। इसकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बाज़ार में आते ही यह हाथों-हाथ बिक जाता है।बुरांस के फूलों से लकदक हुए हिमाचल, जानिए इससे जुडी खास बातें 

हिमाचल के पहाड़ों पर आजकल खिले ‘बुरांस के फूल’ स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र बने हुए हैं। मनमोहक, आकर्षक एवं क़ुदरती गुणों से भरे हुए इन फूलों को प्रदेश में आने वाले पर्यटक और स्थानीय लोग अपने-अपने कैमरों में क़ैद कर रहे हैं। भले ही बुरांस के ये फूल कुछ दिनों बाद जंगल से अपना डेरा-डंडा उठा लें लेकिन लोगों की स्मृतियों और कैमरों में क़ैद होने के बाद ताउम्र ताज़ा रहेंगे।

बुरांस के पेड़ समुद्र तल से लगभग 1500 मीटर से 3600 मीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। यह वृक्ष मुख्यतः ढलानदार जमीन पर पाए जाते हैं। बुरांस की विशेषता है कि वे देखने में जितने सुन्दर होते हैं, उतने ही स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा, मंडी, शिमला, चम्बा तथा सिरमौर जिलों में बुरांस के पेड़ अधिक संख्या में पाए जाते हैं।

स्थानीयता के अनुसार इन फूलों को विभिन्न जिलों में आमतौर पर बुरांस, ब्रास, बुरस या बराह के फूल के नाम से जाना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार लाल रंग वाले बुरांश के फूलों का औषधीय महत्व अधिक होता है। कई शोधों के अनुसार बुरांश एन्टी डायबिटिक, एन्टी इन्फ्लामेट्री और एन्टी बैक्टिरियल गुणों से भरपूर होता है। इस तरह इन फूलों को बेहद स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। लोग इन्हें बवासीर, लीवर, किडनी रोग, खूनी दस्त, बुखार इत्यादि के दौरान प्रयोग में लाते हैं। कई लोग इनकी पंखडियो को सुखाने के बाद इन्हें साल भर प्रयोग में लाते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां वृद्ध आज भी बुरांस के मौसम में इसकी चटनी बनवाना नहीं भूलते, वहीं युवाओं में भी यह चटनी इतनी ही प्रिय है। इसके अलावा अब आधुनिक फल विधायन के माध्यम से बुरांस के फूलों का जूस बनाया जा रहा है। बुरांस का जूस बाज़ार में साल भर आसानी से उपलब्ध रहता है, जो इसकी बढ़ती लोकप्रियता का द्योतक है। जहां, इन फूलों का प्रयोग औषधीय रूप में किया जाता है, वहीं यह कई सप्ताह तक स्थानीय लोगों की अतिरिक्त आय के साधन के रूप में उनकी आर्थिकी को सम्बल प्रदान करता है।

Filed Under: कांगड़ा, मुख्य समाचार, हिमाचल प्रदेश Tagged With: Himachal News In Hindi, kangra news



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