शिमला, 20 फरवरी : हिमाचल की सत्ताधारी भाजपा सरकार मुस्लिम समुदाय की अनदेखी कर रही है। राज्य में अभी तक हज कमेटी का गठन नहीं हुआ है। जिस कारण हज पर जाने वाले यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश सरकार ने तब्लीगी जमात के लोगों पर दर्ज एफआईआर को भी निरस्त नहीं किया है।
ये आरोप जमियत उलेमा (हिमाचल, हरियाणा, पंजाब, चण्डीगढ) के उपाध्यक्ष मौलाना मुमताज अहमद काजमी ने शनिवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में लगाए।
उन्होंने कहा कि देश में सरकार के तीन साल हो गए है लेकिन अभी तक अल्पसंख्यक वित्त, अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड एवं विकास निगम का गठन नहीं किया गया। बोर्ड का गठन न होने से समुदाय के लोग अपनी समस्या को सरकार के समक्ष नहीं उठा पा रहे है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय के साथ की जा रही अनदेखी के खिलाफ राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को ज्ञापन भेजा है। इसी तरह मुख्यमंत्री को भी मांगों को लेकर अवगत करवाया गया, लेकिन मुस्लिम समुदाय की मांगों को सरकार लगातार हल्के में ले रही है। कोरोना काल में तब्लीगी जमातियों पर दर्ज एफआईआर को कई राज्यों ने निरस्त कर दिया, लेकिन हिमाचल में तब्लीगी जमातियों पर बनाई गई एफआईआर पर कोई फैसला नहीं लिया गया। कहा कि प्रदेश में जमात के 56 लोगों पर मामले दर्ज किए गए है। प्रदेश में भी जमात से जुडे जिन लोगों पर इस प्रकार के बेबुनियाद केस बनाए गए है उन्हे खत्म किया जाए
उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने उर्दू अध्यापकों की नियुक्ति के लिए पदो को स्वीकृत किया था लेकिन अभी तक इन्हें नियुक्ति नहीं दी गई। केंद्र सरकार द्वारा जारी अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित योजनाओं को प्रदेश में लागू नहीं किया जा रहा है और स्वीकृत करोड़ों रुपये के बजट को वापिस किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाए है कि प्रदेश में मुस्लिम धार्मिक स्थलों को भी एक साजिश के तहत निशाना बनाया जा रहा है। हाल में कांगडा की नूरपूर स्थित मस्जिद का नव निर्माण का कार्य शुरू किया गया तथा इसके लिए प्रशासन से नकशा भी पास करवाया गया। इसके बावजूद भी मस्जिद निर्माण का कार्य शुरू किया जाता है तो रात को शरारती तत्वो उस निर्माण को गिरा देते है। इसकी शिकायत सीएम से भी कि गई थी किन्तु अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। इसी तरह कुल्लू में भी मस्जिद के मीनारों को बनाने में बाधा अटकाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में शरारती तत्वों द्वारा मुस्लिम समुदाय के लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। बिलासपुर में एक विशेष संस्था द्वारा खुलेआम मदरसों के बारे में अपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया और पूरे मुस्लिम समुदाय के विरूद्ध बिलासपुर में जूलूस निकाला गया, जिसमें अपत्तिजनक नारे व भाषण दिए गए। यह सब सरकार व प्रशासन के सामाने खुलेआम हो रहा है। वहीं कांगडा में कुछ शरारती तत्वों ने मस्जिद में घुसकर लोगों के साथ मारपीट की।
प्रदेश में मुस्लिम समुदाय के लोगों को इतना परेशान किया जा रहा है कि दो मुस्लिम युवाओं ने परेशान हो कर आत्महत्या कर दी है। मगर सरकार व प्रशासन मुकदर्शक बनकर ये सब देखरही है।