नाहन, 21 फरवरी : सिरमौर रियासत के शाही महल में 15 मई 2013 को एक खास समारोह हुआ था। इसे “राजतिलक” की संज्ञा की बजाय “मंगलतिलक” संबोधित किया गया। बेशक ही देश की आजादी के बाद राजसी वैभव खत्म हो चुका था, लेकिन राजघरानों में आज भी महाराज की उपाधि देने की परंपरा जारी है। अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश का राजतिलक नवंबर 1933 में 20 साल की उम्र में हुआ था। इसका औपचारिक समारोह 13 फरवरी 1935 को आयोजित हुआ था। यानि 86 साल बाद राजतिलक की रिवायत को मंगल तिलक में बदलकर 15 मई 2013 को शाही महल शुरू किया गया था। इसमें 9 साल के लक्ष्य राज का मंगल तिलक किया गया था।
अंतिम शासक राजेंद्र प्रकाश का निधन 1964 में हो गया था। 2013 में 49 सालों तक राजगद्दी का कोई भी दावेदार सामने नहीं आया। हालांकि शासक की पहली पत्नी दुर्गा देवी से संतान नलिनी के बेटे उदय प्रकाश द्वारा दत्तक पुत्र होने का दावा किया जाता रहा हैै। लेकिन मंगलतिलक का समारोह शासक की दूसरी पत्नी इन्दिरा देवी के पड़ दोहते लक्ष्य राज को गद्दी पर बिठाने के लिए आयोजित हुआ था।
ऐसा भी तर्क है कि अंतिम शासक की पत्नी दुर्गा देवी ने ही अपने दोहते उदय प्रकाश को 1965 में गोद लेने का फैसला लिया था। इसे महाराज राजेंद्र प्रकाश के निधन के एक साल बाद लिया गया था। शाही महल की राजकुमारी पदमिनी देवी का विवाह 10 मई 1966 को जयपुर के महाराज ब्रिगेडियर भवानी सिंह से हुआ। उनकी इकलौती संतान दीया कुमारी के दो बेटे पदमनाभ सिंह व लक्ष्य राज हैं। एक बेटी भी है। इस समय जयपुर के राजघराने में अंतिम शासक की बेटी पदमिनी देवी को राजमाता की उपाधि दी जाती है।
बड़े दोहते पदमनाभ सिंह का 14 साल की उम्र में जयपुर के सिंहासन पर मंगलतिलक किया गया था। 22 नवंबर 2002 में ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने बड़े दोहते पदमनाभ सिंह को दत्तक पुत्र बनाया था। उस समय पदमनाथ सिंह की उम्र 5 साल थी। जबकि 15 मई 2013 को छोटे दोहते लक्ष्यराज को सिरमौर रियासत की गद्दी सौंपी गई। ऐसा भी बताया जाता है कि सिरमौर रियासत की गद्दी सौंपने से पहले लक्ष्यराज का गौत्र भी बदला गया। गौत्र को मानव से अत्री किया गया। इस समारोह में उत्तर भारत की कई रियासतों के वारिस तो पहुंचे ही थे।
बता दें कि इस मंगलतिलक समारोह में बाॅलीवुड की हस्तियों के अलावा हजारों शहरवासी भी गवाह बने थे। उल्लेखनीय है कि शाही महल की संपत्ति दो वारिसों में ही विभाजित है। इसमें पदमिनी देवी व उदय प्रकाश हैं।