पांवटा साहिब/सचिन ओबराय
पांच बहनों के इकलौते भाई को जब 70 साल के पिता लालचंद ने मुखाग्नि दी तो हर कोई स्वर्गधाम में सिहर उठा। पुलिस सम्मान के साथ सैंकड़ों नम आंखों की मौजूदगी में होमगार्ड जवान सुरजीत पुंडीर पंचतत्व में विलीन हो गया। सोमवार को वो पीजीआई चंडीगढ़ में 13 दिन जीवन व मौत के बीच संघर्ष करता रहा। मगर आखिर में जिंदगी की जंग हार गया। पांच महीने पहले ही परिणय सूत्र में बंधे दिवंगत सुरजीत पुंडीर की कर्त्तव्य परायणता को कई पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। घर पर पत्नी की कलाई से चूड़ा भी नहीं उतरा था।
मंगलवार को ही तमाम औपचारिकताओं के बीच जवान की पार्थिव देह को पांवटा साहिब लाया गया था। यहीं पर अंतिम संस्कार किया गया। 2-3 फरवरी को बेकाबू ट्रैक्टर ने बैरिकेटर को तोड़कर होमगार्ड जवान को अपनी चपेट में ले लिया था। पुलिस महकमे ने जवान के जीवन को बचाने की भरसक कोशिश की। लेकिन कुदरत को कुछ ओर ही मंजूर था।