शिमला, 16 फरवरी : हिमाचल प्रदेश में यूरेनियम के भंडार होने के संकेत मिले हैं। हालांकि ये भंडार छोटे हैं, मगर इनका इस्तेमाल देश हित में किए जाने की संभावना है। इन भंडारों के मंडी व शिमला जिला में होने की खबर है। अंग्रेजी दैनिक द ट्रिब्यून ने देश के परमाणु ऊर्जा विभाग के हवाले से खबर प्रकाशित की है। इसके मुताबिक शिमला जनपद में 200 टन ट्राई यूरेनियम ऑक्टोसाइड का भंडार मौजूद है। इससे 170 टन यूरेनियम का उत्पादन हो सकता है। इसके अलावा मंडी में 220 टन ट्राई यूरेनियम ऑक्टोसाइड का भंडार है। इससे देश को 186 टन यूरेनियम मिल सकता है।
इसके अलावा राज्य में सबसे अधिक यूरेनियम का भंडार ऊना में होने की बात भी कही गई है। देश के 11 राज्यों में यूरेनियम मौजूद है। इसमें हिमाचल का स्थान 10वां है। आंध्र प्रदेश, झारखंड व मेघालय यूरेनियम के भंडार होने के मामले में सर्वश्रेष्ठ तीन राज्यों की फेहरिस्त में हैं। गौरतलब है कि हमीरपुर में भी खुदाई के दौरान यूरेनियम के भंडार होने के संकेत मिले थे। यूरेनियम काॅर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड 2031-32 तक देश को यूरेनियम के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में जुटा है। प्रदेश का उद्योग महकमा कह चुका है कि 11 स्थानों पर यूरेनियम हो सकता है।
जनवरी माह में भारतीय प्रोद्यौगिकी संस्थान मंडी के विशेषज्ञों ने भी अंडर ग्राऊंड वाटर सैंपलिंग के आधार पर इस बात का खुलासा किया था कि भूमिगत पानी में सामान्य से 4 गुणा अधिक यूरेनियम पाया गया है। दूसरे चरण में सैंपल को आगामी परीक्षण के लिए परमाणु विज्ञान अनुसंधान बोर्ड को भेजने का फैसला लिया गया था।
ये है यूरेनियम की खासियत….
यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु संयंत्रों में किया जा सकता है। ये रेडियो एक्टिव रसायन धातु है। मिसाइल को ब्लास्ट करने में भी इसका इस्तेमाल होता है। इसका इस्तेमाल न्यूक्लियर पावर प्लांटस में भी किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक एक किलो यूरेनियम से 22 टैरो जाॅल्स ऊर्जा का उत्पादन हो सकता है। वहीं अगर कोयले से इतनी ऊर्जा का उत्पादन करना हो तो कोयले का भंडार 1500 टन होना चाहिए। ये धातु सिल्वर ग्रे रंग का होता है। प्राकृतिक तौर पर यूरेनियम 238 व यूरेनियम 235 व यूरेनियम 234 मिलता है।