नाहन, 15 फरवरी : मरने को मर भी जाऊं कोई मसअला नहीं, लेकिन ये तय तो हो कि अभी जी रहा हूं मैं..। कुछ ऐसे ही खूबसूरत शेर सुनाकर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर नफस अंबालवी ने नाहन में आयोजित कवि सम्मेलन में खूब दाद बटोरी। अंबाला से ताल्लुक रखने वाले शायर नफस अंबावली नाहन में कलाधारा संस्था की ओर से आयोजित बहुभाषी कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। उन्होंने, उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यक़ीं है कि ये आसमान कुछ कम है.., और, जो साजिशें थी जली बस्तियां बताती हैं, ये वो दर्द है जो खामोशियां बताती हैं..। जैसे एक के बाद एक खूबसूरत शेर सुना कर कवियों की खूब तालियां बटोरीं।
कार्यक्रम दौरान पठानकोट से आए शायर रविकांत अनमोल व अंबाला से आए शायर गुरचरण सिंह ने विशिष्ठ अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। जबकि मंच का संचालन कवि भुवन जोशी ने शानदार ढंग से अंजाम दिया। इस मौके पर कलाधारा संस्था के प्रमुख शायर नासिर यूसुफजई विशेष रूप से मौजूद रहे।
सम्मेलन दौरान रविकांत अनमोल ने सभी तो अपनी-अपनी मुश्किलों से.., गुरचरण सिंह जोगी ने आज के दौर में हर शख्स ने पहना है नकाब.., शेर सुनाकर खूब महफिल लूटी। नाहन के युवा शायर जावेद उल्फत ने तेरी आंखों में क्या रखा नहीं है, किसी की क्या यही दुनिया नहीं है.., अपनी गजल से तालियां बटोरीं। नासिर यूसुफजई ने यूं बहुत कुछ आदमी में है मगर, आदमी में आदमी मिलता नहीं.., से दाद पाई। पंकज तन्हा ने भूख पेट को मतलब क्या है मंदिर-मस्जिद बनने से.., अनंत आलोक ने एक हाथ पर दिल रखा, एक हाथ पर फूल.., प्रभात कुमार ने घबराए हुए लोग, डा. ईश्वर राही ने जीवन का सफर.., सरला गौतम ने मधुमास.., डा. प्रमोद पारिख ने फागन बीता जाए.., मोहम्मद कयूम ने बर्फ का गोला.., श्रीकांत ने जंगल और मेरी बातें.., भुुवन जोशी ने सजनी तेरे रूप की.., से रंग जमाया।
इस दौरान पांवटा से आई प्रियंवदा, माजरा से शबनम शर्मा, नाहन से भुवन चंद्र जोशी, पंकज तन्हा, दीप चंद कौशल, प्रभात कुमार, सरला गौतम, डा. प्रमोद पारिख, प्रताप पराशर, गोपी चंद डोगरा, डा. ईश्वर राही, मोहम्मद कयूम, श्रीकांत अकेला, बोहलियों से आई सुनीता भारद्वाज, धनवीर सिंह परमार, अर्चना शर्मा, राम कुमार सैनी आदि कवियों ने भी सुंदर-सुंदर रचनाएं पेश करके महफिल में समां बांधा।