नाहन, 13 फरवरी: मौजूदा परिदृश्य में ग्रामीण क्षेत्रों के युवा सरकारी नौकरी के पीछे भाग रहे हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी चेहरे हैं, जो लीक से हटकर कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं। धारटीधार के बायला के समीप चिया ममियाना गांव की रहने वाली 21 साल 6 महीने (22-07-1999) की युवती ने एक अलग मिसाल कायम की है। वह अब हैवी व्हीकल लाइसेंस होल्डर (Heavy Vehicle License Holder) बन गई है। द से ही सपना का सपना था कि वो हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करे। वो पल लंबे इंतजार के बाद नसीब हुए हैं। एलएमवी के आधार पर सपना ने 108 एंबुलेंस की पायलट भी बनने का प्रयास किया था, लेकिन टैस्ट में पास होने के बाद भी कॉल लेटर नहीं आया।
बचपन से ही अपने पिता संजीव कुमार के साथ कंडक्टर सीट पर बैठकर ड्राइविंग के नुस्खे सीखा करती थी। शायद भी परिवार व खुद सपना को इस बात का इल्म होगा कि 21 साल 6 महीने की उम्र में वह हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस होल्डर बन जाएगी। वैसे तो नारी शक्ति हरेक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का डंका बजा रही है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में ड्राइविंग आसान नहीं होती।
28 जनवरी 2021 को पावंटा साहिब में सपना का हैवी व्हीकल ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट हुआ था, इसमें वो सफल रही। रमौल ड्राइविंग स्कूल में लगभग 2 महीने का प्रशिक्षण(Training) लेने के बाद जब वह इस टैस्ट में सफल हुई तो चेहरे की खुशी कुछ खास थी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सपना का कहना था कि वह एचआरटीसी की पायलट बनना चाहती है। इसके अलावा अगर मौका मिला तो 108 का पायलट भी बनना चाहेगी। सपना ने कहा कि इंदिरा गाँधी मुक्त विश्व विद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है। भविष्य में पढ़ाई भी जारी रखेंगी। साथ ही सरकारी विभागों में चालकों के पदों की भर्ती में भी हिस्सा लेंगी।
बता दें कि सपना का भाई रोहित कुमार इस समय नाहन में 108 का पायलट है। हिमाचल में पहली एचआरटीसी (HRTC) पायलट का रुतबा सोलन जिला की रहने वाली सीमा ठाकुर को हासिल है।
इसके अलावा किन्नौर की पूनम नेगी ने भी हेवी व्हीकल ड्राइविंग में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया हुआ है। पच्छाद के बागपशोग के शी हॉट में सिरमौर की पहली महिला ऑटो ड्राइवर के रूप में मीनाक्षी शर्मा अपनी सेवाएं दे रही है।
21 वर्षीय सपना के पिता धारटीधार के बायला में वेल्डिंग की दुकान चलाते है, जबकि माता सुनीता देवी गृहिणी है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस प्रोफेशन में पुरुषो का दबदबा रहा है, मगर अब छोटी उम्र में युवतियां भी इस प्रोफेशन में कदम रखने लगी है। कुल मिलाकर सपना की कोशिश उन युवाओ के लिए बड़ा सन्देश है जो केवल और केवल सरकारी नौकरी पर एक ही जगह ध्यान केंद्रित कर रहे है।
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