बिलासपुर, 10 फरवरी : हिमाचल के आबकारी एवं कराधान विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर कमल ठाकुर ने बताया कि प्रदेश में सीमेंट महंगा होने का बड़ा कारण ट्रकों से ढुलाई है। अगर बाहरी कंपनियां यहां सीमेंट बेचना शुरू करेंगी तो उन्हें ट्रकों के माध्यम से यहां सीमेंट पहुंचाना होगा। इससे उन्हें कोई फायदा नहीं होगा। अन्य राज्यों में ट्रांसपोर्टेशन के लिए ज्यादातर ट्रेन का उपयोग किया जाता है। प्रदेश की कंपनियों को ट्रकों का खर्च उठाना पड़ता है।
हिमाचल के उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार सीमेंट के रेट कम करने पर काम कर रही है, लेकिन अभी कामयाबी नहीं मिली है। सरकार खनन पर रॉयल्टी कम नहीं करेगी। ऐसा कोई एमओयू नहीं हुआ जिससे रॉयल्टी कम करके सीमेंट के दामों में राहत दिलाई जाए। सरकार इस पर तब तक काम करेगी, जब तक कोई रास्ता न निकल जाए।
वर्तमान में हिमाचल में अल्ट्राटेक सीमेंट का दाम प्रति बैग 385, एसीसी का 400, अंबुजा का 395 रुपये है। वहीं पंजाब में अल्ट्राटेक 370, एसीसी 385 और अंबुजा सीमें 375 रुपये बैग मिल रहा है। हरियाणा में अल्ट्राटेक 360, एसीसी 370 और अंबुजा सीमेंट के दाम 370 रुपये हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि इस पर मंत्री और सरकार दलील ही देती आ रही है।
हैरानी इस बात की है कि सीमेंट कारख़ानों से नुकसान हिमाचल की जनता का हो रहा है। पर्यावरण हिमाचल प्रदेश का दूषित हो रहा है, हिमाचल के संसाधनों का दोहन हो रहा है, लेकिन दाम पंजाब में सस्ते हो सकतें हैं पर हिमाचल प्रदेश में नहीं।