शिमला, 05 फरवरी : महिलाओं की सुरक्षा की खातिर कमांड और कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार ने 9.36 करोड़ रुपये की राशि जारी की है। हिमाचल को यह रकम निर्भया फंड के तहत मिली है। लेकिन हिमाचल सरकार इस सेंटर को बनाने में ढिलाई कर रही है। कमांड और कंट्रोल सेंटर का अभी तक निर्माण नहीं हो पाया है। अंतराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ व राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य कमल सोई ने यह बात कही है। उन्होंने शुक्रवार को शिमला में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि हिमाचल सरकार द्वारा कमांड और कंट्रोल सेंटर को बनाने का ज़िम्मा 4-5 निजी कंपनियों को देने की कवायद चल रही हैं
उन्होंने सरकार को इस सेंटर के बनाने में निजी कंपनियों को तवज़्ज़ो न देने का आग्रह किया है। कहा कि यह नारी सुरक्षा से जुड़ा मसला है। निजी कंपनी को यह काम मिलने पर निजी कंपनी के पास वाहनों का डाटा चला जाएगा। इससे डाटा के गलत इस्तेमाल की संभावनाए बढ़ जाएंगी। ऐसे में सरकार व परिवहन विभाग को कमांड और कंट्रोल सेंटर का काम निजी हाथों में नहीं देना चाहिए।
कहा कि कंट्रोल रूम को बनाने का काम सरकारी कंपनियों बीएसएनएल न एनआईसी को मिलना चाहिए था। उनका कहना है कि कई प्रदेशों में कंट्रोल रूम स्थापित किए जा चुके हैं तथा सरकारी उपक्रमों की ओर से यह काम किया गया है, जबकि हिमाचल प्रदेश में कंट्रोल सेंटर को प्राइवेट कंपनियों को देने के पीछे सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। उन्होंने कहा कि कंट्रोल रूम को प्राइवेट कंपनियों के हवाले करने से महिलाओं से जुड़ा डाटा लीक होने का अंदेशा है। अगर हिमाचल सरकार ने उनकी बात पर अमल नहीं किया, तो उन्हें कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हिमाचल में लगभग 3-4 लाख के करीब पब्लिक वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगना है। इनमें से 30 हजार के आस-पास वाहनों में जीपीएस व व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम लगाया जा चुका है, लेकिन कंट्रोल रूम बनाने का काम शुरू नहीं हुआ है।