नाहन, 5 फरवरी : कहते हैं, जब व्यक्ति अपनी सांसारिक यात्रा को पूरा कर लेता है तो उसके जीवन से जुड़े गुण-दोषों की भी चर्चा होती है। यहां एक ऐसी शख्सियत की चर्चा हो रही है, जिन्होंने चलते-फिरते 92वें साल की उम्र में संसार को त्याग दिया। अब उनके जीवन से जुड़ी कई अनोखी बातें सामने आई हैं, वो दंग कर देने वाली हैं।
राज्य का मौजूदा हिमाचल परिवहन निगम (HRTC) पहले हिमाचल राजकीय परिवहन (HGT) हुआ करता था। सोचिए, 60 के दशक में सड़कों की हालत कितनी खतरनाक हुआ करती होगी। लेकिन दिवंगत मोती राम छेत्री इन सड़कों पर सरकारी बस को बखूबी दौड़ाकर यात्रियों को उनके गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाया करते थे। परिवार की मानें तो ट्रांसगिरि क्षेत्र में दिवंगत मोतीराम छेत्री पर स्थानीय भाषा में लोकगीत भी 60 से 70 के दशक में बने थे। करीब 34 साल पहले रिटायरमेंट के बाद कारमल काॅन्वेंट स्कूल में भी ड्राईविंग की। बच्चों के खूब चहेते रहा करते थे।
मोनाल की कलगी…
मूलतः नाहन के कैंट एरिया (Cantonment Area) के रहने वाले मोती राम छेत्री को उस समय के राज्य पक्षी (State Bird) मोनाल की कलगी का इस्तेमाल टोपी पर करने का भी लाईसेंस मिला हुआ था। आकर्षक लिबास में मोनाल की कलगी से सुसज्जित टोपी (Cap) को पहनकर जब निकला करते थे तो भीड़ में भी एक अलग ही अंदाज हुआ करता था। हंसमुख व मधुरभाषी मोती राम को हालांकि 90 के दशक में कई अवार्ड भी मिले, लेकिन मौजूदा पीढ़ी को शहर में मौजूद एक अनोखी शख्सियत का पता अब चल रहा है, जब वो इस दुनिया में नहीं रहे।
चीन के युद्ध में ट्रांसपोर्टेशन..
परिवार की मानें तो दिवंगत मोती राम बताया करते थे, जब 1962 में चीन (China) का युद्ध (War) हुआ था, उस समय वो सीमा पर जवानों को रसद पहुंचाने के लिए भी ड्राईविंग (Driving) करते थे। उस समय सड़कों पर ड्राईविंग के दौरान बड़ा जोखिम (Risk) रहा करता था। 10 रोज पहले ही अपनी भतीजीे (Niece) से इस युद्ध का जिक्र किया था। भतीजी सरिता ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क को बताया कि दिवंगत फूफा जी ने बताया था कि उन्हें डबल तनख्वाह (Double Salary) मिलती थी। रसद के अलावा चीन सीमा पर फौजियों को लाने व ले जाने का भी दायित्व होता था।
ये बोला बेटा…
राजस्व विभाग में कानूनगो के पद पर तैनात मोती राम के बेटे महेंद्र छेत्री ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि पिता जी का इस तरह से चले जाना बेहद ही सदमे वाला है।
उनका कहना था कि सब कुछ ठीकठाक था। बीमार भी नहीं थे। अचानक ही दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्होंने बताया कि पिता जी कहा करते थे एचजीटी की ड्राईविंग के दौरान रिमोट इलाकों में बस को चलाना आसान नहीं था। कुदरत भी साथ दिया करती थी। कभी ऐसे पल नहीं आए, जब दुर्घटना (Accident) का सामना करना पड़ा हो। बता दें कि दिवंगत मोती राम के दो बेटे व दो बेटियां हुई। इसमें से एक बेटी का निधन हो चुका है। जबकि उनकी पत्नी स्व. संध्या छेत्री का निधन करीब 21 साल पहले हो गया था।