राजगढ़ /बीआर चौहान
समाज में अनेक ऐसी विभूतियां ऐसी विद्यमान हैं, जो बिना किसी सरकारी सहायता एवं व्यक्तिगत मीडिया प्रचार से दूर रहकर निःस्वार्थ भाव से समाज सेवा में जुटी हैं। इनमें से एक हैं, सिरमौर के ठारू गांव के 65 वर्षीय प्रभुराम। इन्होंने लावारिस पशुओं को आश्रय देने जैसा पुनीत कार्य किया है।
समुद्र तल से करीब साढ़े सात हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित ठारू गांव के एक छोर पर प्रभुराम द्वारा पिछले पांच वर्षों से गौशाला संचालित की जा रही है। इसमें किसी संस्था, सरकार अथवा स्थानीय लोगों का कोई सहयोग नहीं है।
प्रभुराम द्वारा मेहनत व मजदूरी इत्यादि करके निराश्रित गौवंश के लिए एक शैड निर्मित किया गया है, जिसमें वर्तमान में करीब 50 लावारिस गौवंश को आश्रय दिया गया है।
प्रभुराम घर से प्रातः निकलकर पूरा दिन पशुओं के लिए घास-पत्ती एकत्रित करते हैं, ताकि पशु भूखे न रहे। प्रभुराम पूरा दिन इनकी सेवा में व्यस्त रहते हैं, जबकि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में घास की बहुत कमी रहती है। ऐसी स्थिति में भी प्रभु बान, मोहरू इत्यादि की पत्तियां जंगल से लाकर पशुओं को खिलाते हैं। प्रभुंराम को भले ही स्वयं भूखे रहना पड़े, परंतु गौवंश के पेट भरने के लिए पूरे जंगल में भटकते रहते हैं।
जहां एक ओर संभ्रांत परिवार के लोग पालतू पशुओं को निराश्रित सड़कों पर छोड़ देते हैं, वहीं पर एक गरीब अनुसूचित जाति से संबध रखने वाले वृद्ध प्रभुराम द्वारा जिस प्रकार निःस्वार्थ भाव से लावारिस गौवंश की सेवा की जा रही है, वह अपने आप में एक अनूठी मिसाल है।
प्रभुराम ने बताया कि इस क्षेत्र में अनेक ऐसे लावारिस पशु थे, जो सड़कों पर विचरते रहते थे और रात्रि को लोगों की फसलों का नुकसान करते थे। उनके द्वारा सभी लावारिस पशुओं को एकत्रित करके एक जगह रखा गया तथा उनके लिए अपने संसाधन से एक शैड निर्मित किया गया, ताकि लावारिस पशु किसी की फसल का नुकसान न करेें। इनका कहना है कि गऊ माता की सेवा करना एक पुण्य है। लोग अपना स्वार्थ पूरा होने पर गौवंश को बेसहारा सड़कों पर छोड़ देते हैं, जोकि बहुत ही दुःखदाई है।
प्रदेश के जाने माने साहित्यकार एवं देवठी मंझगांव के पूर्व प्रधान विद्यानंद सरैक ने बताया कि उनके द्वारा कुछ दिन पूर्व इस गौशाला का आकलन किया गया। उन्होंने कहा कि वह प्रभुराम की गौवंश के प्रति श्रद्धा व समपर्ण की भावना देखकर स्तब्ध रह गए।
इनका कहना है कि सरकार को ऐसी छिपी हुई प्रतिभाओं को सम्मानित करना चाहिए, जो समाज के लिए निःस्वार्थ भाव से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होने सरकार व जिला प्रशासन से भी आग्रह किया है कि इस गौशाला के लिए कोई अनुदान जारी करे, ताकि प्रभुराम इस गौशाला को और बेहतरीन ढंग से संचालित कर सके।