शिमला, 2 फरवरी : हिमाचल प्रदेश में 108 और 102 एंबुलेंस सुविधाएं देने वाली जीवीके कंपनी को अपने कर्मचारियों को लाखों का एरियर देना होगा। इसके अलावा कर्मचारियों को अब डबल पगार मिलेगी। शिमला की सीजीएम अदालत ने ये फरमान दिये हैं।
108 और 102 एंबुलेंस कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष पूर्ण चंद ने आज प्रेस वार्ता में बताया कि एम्बुलेंस प्रदाता कम्पनी जीवीके द्वारा लम्बे समय से कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है। कर्मियों को बहुत कम मासिक वेतन दिया जाता है। यूनियन ने इस मामले को लेकर अदालत का दरबाजा खटखटाया तथा लम्बी लड़ाई लड़ी। हाल ही में शिमला की निचली अदालत ने कर्मचारियों के पक्ष में राहत देते हुए कम्पनी प्रबंधन को न्यूनतम वेतन देने का निर्णय दिया है। इसके अलावा अदालत ने कम्पनी को 1 मई 2015 से बकाया एरियर देने भी कर्मचारियों को देने के फरमान दिए हैं। अदालत के इस फैसले से लगभग 800 कर्मचारी लाभान्वित होंगे। प्रत्येक कर्मचारी को 3 से 4 लाख रुपये तक मिलेंगे।
पूर्ण चंद ने कहा कि कम्पनी में कार्यरत एक फार्मासिस्ट को 8700 रुपये महीना दिया जाता है। लेकिन अदालत के फैसले के बाद फार्मासिस्ट का वेतन 17,235 रुपये महीना मिलेगा। यूनियन ने जीवीके कम्पनी पर गड़बड़झड़ाले व वितीय अनियमितताओं का आरोप लगाया है।
प्रदेश अध्यक्ष पूर्ण चंद ने कहा कि जीवीके कम्पनी में बड़े पैमाने पर भ्र्ष्टाचार हो रहा है। कम्पनी से निकाले गए कई कर्मचारियों से प्रशिक्षण के नाम पर हजारों रुपये लिए गए हैं। कोविड के अत्यधिक प्रकोप के दौरान पंजाब की एक संस्था ने जीवीके कम्पनी को 400 पीपीई किट भेंट किये थे, जिनका 108 एम्बुलेंस कर्मियों में वितरण होना था, लेकिन कर्मचारियों को पीपीई किट नहीं दिए गए।
उन्होंने कहा कि कम्पनी के खिलाफ आवाज़ उठाने पर 15 कर्मचारियों का निष्कासन और 8 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर निकाला गया है।