शिमला, 2 फरवरी : हालांकि, पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में इस बात का सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है कि कितने मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया। लेकिन ये आंकड़ा वैध मतों में 5 से 10 फीसदी का हो सकता है। इसी बीच कांगड़ा जिला परिषद में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव में नोटा का इस्तेमाल होने की खबर है। बीजेपी ने अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के पद पर सोमवार को कब्जा कर लिया था। मगर ऐसा शायद इस चुनाव में पहली बार ही हुआ है, जब अहम पदों के लिए भी सीधे तौर पर नोटा का इस्तेमाल किया गया।
अध्यक्ष पद पर बीजेपी के रमेश बराड़ को 30 वोट हासिल हुए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 23 वोट प्राप्त हुए। एक सदस्य ने नोटा का इस्तेमाल किया। उपाध्यक्ष पद के लिए बीेजेपी की स्नेहलता परमार ने 31 वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 23 वोट हासिल हुए। यह तय है कि चेयरपर्सन के पद के लिए नोटा का इस्तेमाल हुआ। 29 जनवरी को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने धर्मशाला का दौरा किया था।
इस दौरान 33 नवनिर्वाचित सदस्यों की मुलाकात सीएम से करवाई गई थी। जिन्होंने भाजपा के पक्ष में वोट डालने का आश्वासन दिया था। मगर चुनावी नतीजे इस बात का भी साफ संकेत दे रहे हैं कि सीएम से मिलने वाले 33 के 33 सदस्यों ने भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं किया।
30 जनवरी को बीजेपी के पाले में 33 सदस्य थे, लेकिन कोरम पूरा न होने के कारण चुनाव को 1 फरवरी तक स्थगित किया गया था। बता दें कि सत्तारूढ राजनीतिक दल ने हिमाचल के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में जिला परिषद की सत्ता हासिल करने के मकसद से नव निर्वाचित सदस्यों को धर्मशाला के एक होटल में भी रखा था। पार्टी को उस समय भी झटका लगा था, जब होटल में रखे गए 6 सदस्य गायब हो गए थे। बीजेपी ने दावा किया था कि 26 सदस्य वो थे, जिन्हें पार्टी ने टिकट दिया था। 7 संबंद्ध सदस्यों का समर्थन बताया गया था।
कांग्रेस को इस वजह से संजीवनी मिली, क्योंकि कोई पार्टी नेता न होने के बावजूद भी कांग्रेस की झोली में 19 सीटें आ गई थी। पार्टी के कांग्रेस के नेताओं ने संगठित होकर चेयरपर्सन की सीट हासिल करने की कोशिश की। चार निर्दलीयों का समर्थन जुटाकर आंकड़ा 23 तक पहुंचा दिया था।