रिकांगपिओ, 29 जनवरी : जिले के रोपा वैली में तीरंदाजी पर्व की परंपरा सदियों पुरानी है। बताते हैं कि तीरंदाजी खेल तब खेला जाता है, जब स्थानीय देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं। हालांकि वैली के हर गांव में अपने स्तर पर मान्यता के अनुसार तीरंदाजी खेला जाता है।
रोपा वेली के रुशकलंग गांव में इन दिनों तीरंदाजी खेल चरम पर है। स्थानीय देवी टुंगमा जी (दोर्जे छेनमो जी) स्वर्ग प्रवास पर है। देवी जी के आशीर्वाद से ही यह खेल खेला जाता है। देवी के स्वर्ग प्रवास के साथ ही तीरंदाजी शुरू होती है। देवी जी के स्वर्ग वापसी के साथ ही इस खेल का समापन होता है। मान्यता है कि स्थानीय देवी के स्वर्ग प्रवास पर जाते ही उनकी अनुपस्थिति के दौरान बुरी शक्तियों के प्रकोप को नष्ट करने के उद्देश्य से गांव में तीरंदाजी खेल का आयोजन होता है।
रुशकलंग गांव के कर्मा बोरिस, अमीर नेगी, भूषण नेगी, रामलाल नेगी, सीसी नेगी, सत्या लामा, सुंदर सिंह छोरज्ञा, टीसी छोरज्ञा, कर्म सिंह नेगी, तंज़ीन नेगी, छोटू, राजेश, डंडुब ने कहा कि तीरंदाजी खेल के लिए चार टीमें बनाई जाती है। सभी टीम का एक-एक लीडर होता है जिस के दिशा निर्देश का पालन करना अनिवार्य है।
तीर चलाने का लक्ष्य दो दिशाओं की तरफ करीब सौ-डेढ़ सौ फीट की दुरी पर रखे लकड़ी का तख्त जो चार-पांच इंच वर्गाकार का होता है, जिस पर डायन व राक्षस का चिन्ह बना होता है उसे भेदना है। सभी खिलाड़ियों को बारी-बारी दोनों तरफ से लक्ष्य को भेदना होता है व हर खिलाड़ी एक बारी में केवल दो-दो व टीम लीडर को तीन तीर का प्रयोग करना है। यह खेल कई दिनों तक चलता है। जीत-हार फैसले के बाद देवी जी के स्वर्ग वापसी के बाद दावत एवं लोक नृत्य का आनंद लेते हुए होता है।
ऐसी मान्यता है कि स्वर्ग प्रवास पर भी सभी देवी-देवता इकट्ठा होकर आपस मे पासा खेलते हैं। उस पासा खेल में कृषि, व्यापार, फसल प्राकृतिक आपदा, सामाजिक एवं जनहित सहित वार्षिक शुभ एवं अशुभ फल का निर्णय पासा खेल में हार या जीत के आधार पर होता है। जीत और हार का फला देश स्वर्ग लोक से पृथ्वी लोक के वापसी पर देवी-देवता के माली-गूर ही जनता को बताते है। इस खेल में गांव के प्रत्येक परिवार से एक पुरुष सदस्य का भाग लेना अनिवार्य होता है। जो इस खेल में भाग नहीं लेगा उसे बतौर जुर्माना देना पड़ता है।