नाहन, 24 जनवरी : पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में सिरमौर ने निर्विरोध पंचायतों को चुनने व मतदान प्रतिशतता में खुद को हिमाचल में सिरमौर बनाया। ये दोनों ही बातें लोगों के हाथ में थी, लिहाजा कसौटी पर खरा उतर गए। अब मतगणना व नतीजों को जारी करने की बात राज्य निर्वाचन आयोग के प्रतिनिधि के तौर पर प्रशासन के हाथ में थी। मगर इसमें सिरमौर फिसड्डी साबित हुआ। 22 जनवरी की सुबह जिला परिषद व ब्लाॅक विकास समितियों की मतगणना शुरू हुई।
हैरान कर देने वाली बात यह रही कि 23 तारीख की रात तक पांवटा बीडीसी की ही मतगणना पूरी नहीं हो पाई। दिन-रात चली मतगणना में डयूटी पर तैनात कर्मचारियों व पुलिस कर्मियों को भी थकान का सामना करना पड़ रहा था। हालांकि पुख्ता तौर पर नहीं कहा जा सकता, लेकिन बताया जा रहा है कि नाहन के मतगणना केंद्र में तो सुबह से खड़े पुलिस कर्मियों को खाना तक नसीब नहीं हुआ, जिन्हें पुलिस लाइन की मैस में जाकर खाना, खाना पड़ा। कांग्रेस ने तो ये भी आरोप लगाया कि मतगणना में जानबूझ कर विलंब किया गया। बेशक ही प्रशासनिक पक्ष उपलब्ध नहीं है, लेकिन तर्क दिया जा रहा था कि बीडीसी पांवटा साहिब की 40 सीटों की मतगणना में समय तो लगना ही था। इस सवाल का जवाब तलाशा जा रहा था कि इस बात की जानकारी तो पहले से ही थी तो पहले से ही मतगणना को लेकर सही तरीके से रोडमैप क्यों नहीं बनाया गया।
बता दें कि सिरमौर में 35 पंचायतें पूरी तरह से निर्विरोध रही हैं, जबकि मतदान की प्रतिशतता भी 82 प्रतिशत के पार पहुंच गई थी। अगर तुलना की जाए तो मंडी व कांगड़ा जैसे जिलों ने 23 जनवरी की सुबह तक ही नतीजों को घोषित कर दिया था। आरोप यह भी लगा कि रि काउंटिंग नहीं की जा रही है। त्रिलोकपुर के लोगों ने 22 जनवरी की रात एमबीएम न्यूज नेटवर्क को फोन पर इस बात की सूचना दी थी कि रि काउंटिंग नहीं की जा रही। जिला परिषद की 17 सीटों वाले सिरमौर में नतीजों को जारी करने में लगभग 55 घंटे लगा दिए गए। समर्थकों व उम्मीदवारों की धड़कनें तेज रहीं, वहीं रातों की नींद भी उड़ी हुई थी।
ये भी खास….
हिमाचल के ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी शनिवार की रात मतगणना केंद्र पर पहुंच जाते हैं। इस पर लोगों का आक्रोश इस कदर बढ़ा कि जमकर नारेबाजी हुई। मतगणना केंद्र में प्रवेश करने के तुरंत बाद ही उनकी गृह बीडीसी की सीट भाजपा की झोली में आ जाती है। ऐसे में संदेह पैदा होना तो लाजमी ही था। हर कोई यह भी कहता नजर आया कि सरकार के दबाव में प्रशासन भी नतमस्तक है। ये सवाल भी जस का तस बना हुआ है कि क्या मतगणना केंद्र में प्रवेश के लिए ऊर्जा मंत्री के पास कोई अधिकारिक अनुमति पत्र था या नहीं। 16 जनवरी को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल भी रामपुर-भारापुर में अपने समर्थकों के साथ मौजूद थे। कांग्रेस ने जमकर हल्ला बोला था।