पांवटा साहिब/सचिन ओबराय
सिरमौर की मिनी विधानसभा ” जिला परिषद” में कांग्रेस व भाजपा का स्कोर 8-8 हो गया है। अब हॉट-सीट की चाबी बाग पशोग से चुनाव जीती नीलम शर्मा के हाथ में आ गई है, वह ओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखती हैं, लिहाजा कांग्रेस के 8 पार्षदों के बूते उच्च शिक्षित व युवा महिला नीलम शर्मा हॉट सीट पर काबिज हो सकती हैं। यह अलग बात है कि भाजपा भी जोड़-तोड़ शुरू कर सकती है। भाजपा के खेमे में संगड़ाह वार्ड से जीती सीमा भी ओबीसी से ताल्लुक रखती है।
कांग्रेसी खेमे में कोई भी ओबीसी महिला नहीं है। यही कारण है कि नीलम शर्मा को हॉट सीट का ऑफर देकर न केवल पंचायती राज की सर्वोच्च संस्था में सत्ता हासिल की जा सकती है, बल्कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के घर से एक मजूबत चेहरा भी मिल सकता है। बीती रात 11:30 बजे के बाद सिरमौर की बाकी 6 सीटों की मतगणना शुरू हुई थी। रविवार सुबह 11:00 बजे के आसपास तस्वीर पूरी तरह से साफ हो गई। कांग्रेस ने भगाणी, माजरा व रामपुर भारापुर की सीटों को जीत लिया, जबकि भाजपा ने शिल्ला, कमरऊ व बद्रीपुर सीट पर जीत दर्ज की।
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गौरतलब है कि बीती रात ऊर्जा मंत्री सुखराम चौधरी भी पावंटा साहिब में मतगणना केंद्र में पहुंच गए थे। इसके बाद खासा बवाल मचा था। दिलचस्प बात यह है कि हॉट-सीट को लेकर भाजपा के नेताओं ने अपनी-अपनी गोटियां फिट की हुई थी, जहां ऊर्जा मंत्री व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष ने एक बुजुर्ग महिला को हॉट सीट का कैंडिडेट बनाया हुआ था। वहीं भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भी ओपन महिला सीट से ओबीसी महिला को उतारा था।
संयुक्त कैंडिडेट को भी महिला के लिए आरक्षित सीट पर उतारा था क्योंकि वो भी ओबीसी है। पावंटा साहिब व नाहन विधानसभा क्षेत्र में माजरा व रामपुर भारापुर सीट पर हार से बीजेपी को करारा झटका लगा है। रामपुर भारापुर सीट में रेणुका हलके की पंचायतें आती है, वहीं माजरा में पावंटा साहिब की पंचायतें आती है।
16 जनवरी को पहले चरण के मतदान से 1 दिन पहले पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रामपुर भारतपुर में अपने प्रत्याशी के घर पहुंच गए थे, इसके बाद वहां जमकर हंगामा हुआ था। इसमें बिंदल के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई।
बहरहाल रामपुर भरापुर सीट पर कांग्रेस के प्रत्याशी ओमप्रकाश ने जीत हासिल कर जिला परिषद की सत्ता पर कांग्रेस की वापसी की उम्मीद जगा दी है।
रोचक बात यह है कि जयराम सरकार में सिरमौर के भाजपा नेताओं को बड़े ओहदो से नवाजा गया है, यह माना गया था कि इससे पहले कभी भी एक ही जिला से इतने पद नहीं दिए गए। पांवटा साहिब के विधायक सुखराम चौधरी को ऊर्जा मंत्री बनाया गया। इससे पहले शिलाई से 2017 का विधानसभा चुनाव हारे बलदेव तोमर को खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम में उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति दे दी गई।
इसके अलावा अनुसूचित जाति को प्रतिनिधित्व देते हुए सांसद सुरेश कश्यप को प्रदेश संगठन की बागडोर सौंपी गई। वहीं नाहन से सेवानिवृत्त मेजर जनरल अतुल कौशिक को हिमाचल प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनायक आयोग का चेयरमैन भी बनाया गया है। यह अलग बात है कि वह सक्रिय राजनीति से दूर हैं। भाजपा के लिए जिला परिषद के चुनाव में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था, लेकिन आखिर में पांवटा साहिब व नाहन हल्के से जुड़ी माजरा व रामपुर भारापुर सीट को गवा कर भाजपा ने सत्ता की चाबी को कांग्रेस के पाले की तरफ फेंक दिया है।
चूंकि कांग्रेस को सत्ता नजदीक नजर आ रही थी, यही कारण था कि कांग्रेस के जिला अध्यक्ष कंवर अजय बहादुर, पूर्व सीपीएस विनय कुमार, विधायक हर्षवर्धन चौहान इत्यादि सुबह ही मतगणना केंद्र के बाहर पहुंच गए थे। कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बहादुर सिंह ने कहा कि भाजपा ने पंचायती राज संस्था में के चुनाव में सरकारी मशीनरी का जमकर इस्तेमाल किया, लेकिन मतदाताओं ने बगैर दबाव में आकर अपना फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि मतदाताओं को प्रलोभन देने की काफी कोशिशें की गई।
पंचायती राज संस्थाओं में सर्वोच्च जिला परिषद में हार या बराबरी के नतीजों ने यह भी संकेत दिए हैं कि भाजपा नेता धरातल पर मेहनत करनी होगी अन्यथा 2022 के विधानसभा चुनाव में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। देखना यह होगा कि कांग्रेस व भाजपा में से कौन निर्दलीय प्रत्याशी को लेख अपने पाले में लेकर हॉट सीट तक पहुंचता है।