नाहन/संगड़ाह: इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं हो सकती कि पंचायतीराज चुनाव में राजनीतिक दलों की गणना जातिवाद पर आधारित थी। सिरमौर में श्री रेणुका जी विधानसभा क्षेत्र ही है, जहां पर क्षेत्रवाद को लेकर समीकरण बनाए जाते हैं। यहां सीधे तौर पर अपर व लोअर बैल्ट की बात होती है।
1977 में अपर बैल्ट को विधायक मिला था। इसके बाद हालांकि हिरदा राम भी उप चुनाव जीते, मगर उनका कार्यकाल चंद महीने ही रहा। इसके अलावा लोअर बैल्ट से दिवंगत प्रेम सिंह का दबदबा रहा। इस बैल्ट से ही रूप सिंह 1990 में निर्वाचित हुए थे। अब निचले इलाके का प्रतिनिधित्व कांग्रेसी विधायक विनय कुमार कर रहे हैं। लेकिन इस बार जिला परिषद के संगड़ाह वार्ड पर बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में जबरदस्त सेंधमारी की है।
अहम बात यह थी कि इस बार कांग्रेस ने भी अपर बैल्ट को जिला परिषद का टिकट दिया था। बाजी बीजेपी की सीमा कन्याल के हाथ लगी है। कांग्रेस के गढ़ में बढत मिलने से सीमा कन्याल 2747 मतों से विजयी हुई हैं। वहीं कांग्रेस की लता भारद्वाज को 7618 मत प्राप्त हुए। बीजेपी की सीमा कन्याल को 10,365 वोट हासिल हुए थे।
इस चुनाव को करीब से आकलन करने वालों ने बताया कि कांग्रेस सीट जीतने को लेकर इस बात को लेकर आश्वस्त थी कि लोअर बैल्ट से बढ़त मिलेगी।
अपर बैल्ट से बीजेपी को बढ़त मिली, लेकिन कांग्रेस लोअर बैल्ट में अपने गढ़ को बरकरार नहीं रख सकी। जानकारों का यह भी कहना है कि इस बार भाजपा ने चुनाव में टिकट के बदलाव को लेकर भी संकेत दिए हैं। पूर्व विधायक रूप सिंह व पार्टी के नए चेहरे नारायण सिंह ने जिला परिषद की सीट जीतने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया। हालांकि एक ये भी चर्चा है कि सीट अपर बैल्ट को मिलता देख कांग्रेस के कुछ नेता अपने प्रत्याशी के लिए खामोश भी हो गए। इसकी वजह ये थी कि 2022 के चुनाव में लोअर बैल्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ता। पूर्व विधायक हिरदा राम को चुप्पी साधने के निर्देश मिले थे।
श्री रेणुका जी निर्वाचन क्षेत्र के संगड़ाह विकास खंड में 62 पंचायतें हैं। जिला परिषद की संगडाह सीट में 21 पंचायतें हैं। इसमें 8 अपर एरिया से हैं, जबकि 13 लोअर बैल्ट से। यही कारण था कि कांग्रेस जीत को लेकर आश्वस्त थी। लोअर बैल्ट से विधायक की जीत-हार का फैसला होता है।
कुल मिलाकर निचले इलाके का नारा देकर कांग्रेस सियासी लाभ लेती रही है, मगर इस बार मतदाताओं ने क्षेत्रवाद के नारे को करारा झटका दिया है।
हो सकती हैं जिला परिषद चेयरपर्सन
सिरमौर में जिला परिषद का अध्यक्ष पद ओबीसी की महिला के लिए आरक्षित है। लिहाजा, सीमा कन्याल को इस पद की दौड़ में सबसे आगे देखा जा रहा है। नतीजों की पूरी तस्वीर साफ होने के बाद ये पता चलेगा कि कितनी महिलाएं ओबीसी से संबंध रखती हैं। बता दें कि कांग्रेस ने इस सीट पर लता भारद्वाज को चेयरपर्सन के कैंडीडेट के तौर पर भी प्रोजैक्ट किया था।
ददाहू वार्ड की हार से भी झटका
कांग्रेस के विधायक को जिला परिषद की ददाहू सीट को हारने से भी झटका लगा है। सीधे तौर पर कहें तो संगड़ाह व ददाहू वार्ड हार कर स्कोर 1-2 का रहा है। नौहराधार सीट ने लाज बचाई है। रेणुका हलके की 62 पंचायतों में से कुछ पंचायतें नाहन व पांवटा विकास खंड की भी हैं। ददाहू वार्ड को भी लोअर बैल्ट माना जा सकता है। अब अगर 2022 में भाजपा भी इसी बैल्ट से प्रत्याशी उतार देती है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।