शिमला, 22 जनवरी : राजधानी शिमला के आईजीएमसी व केंसर अस्पताल में तीमारदारों के लिए चलाए जा रहे निशुल्क लंगर पर मचे बवाल में शुक्रवार को नया मोड़ आ गया। समाजसेवी सरबजीत सिंह बॉबी ने अपनी संस्था ऑलमाइटी द्वारा कैंसर अस्पताल में चल रहे लंगर को समाप्त करने का ऐलान कर दिया। सरबजीत बॉबी पिछले छह सालों से आईजीएमसी में निशुल्क लंगर उपलब्ध करवा रहे हैं।
सरबजीत सिंह बॉबी ने आज कहा कि वह आईजीएमसी में अपना लंगर अब बंद कर देंगे और नोफल संस्था को जिसको सरकार ये लंगर सौंपना चाहती थी, 31 मार्च को हम उन्हें ये लंगर सौंप देंगे। उन्होंने कहा कि आज हमने सारे चार्ज खत्म कर दिए है। उन्होंने लोगो से भी अपील की है कि अब कोई भी उन्हें लंगर की बुकिंग न दे और न ही हमे आईजीएमसी में लंगर के लिये दान दे।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया है कि जो उन्होंने रेन बसेरा बनाया था, उसे रेन बसेरा ही रहने दे। बॉबी ने कहा कि आज में बहुत खुश हूं कि अढाई दशक तक भगवान ने उन्हें सेवा करने का मौका दिया, अब भगवान उनकी सेवाएं कहीं और लेना चाहता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह कैंसर के मरीजों के लिए निशुल्क एमबुलेंस और केएनएच अस्पताल में लंगर चला रहे हैं। लेकिन अगर शासन-प्रशासन उन्हें अनुमति देगा, तभी उनकी संस्था ये सेवा कार्य करेगी, अन्यथा ये भी प्रशासन को सौंप देंगे।
उल्लेखनीय है कि समाजसेवी सर्वजीत सिंह बॉबी की ऑलमाइटी संस्था द्वारा लंगर, रैन बसेरा और रैन बसेरा के टैंडर को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को आईजीएमसी प्रशासन ने खारिज कर दिया है। आईजीएमसी अस्पताल के एम.एस डा. जनक राज ने आज प्रेस वार्ता में कहा कि सर्वजीत सिंह बॉबी जिस रैन बसेरा को गलत तरीके से टेंडर करना बता रहे हैं, उस रैन बसेरा का फैसला 12 अक्टूबर 2020 को आई.जी.एम.सी में हुई गवर्निंग काउंसिल की बैठक में हुआ था और उसी के अनुसार एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट के तहत आई.जी.एम.सी ने 19 दिसंबर 2020 को रैन बसेरा के लिए टेंडर आमंत्रित किया। जिसकी अंतिम तिथि 2 जनवरी 2021 थी उसमें सिर्फ नोफल संस्था ने अप्लाई किया था और वह सभी मानकों को पूरा करते थे। इसलिये उन्हें यह रैन बसेरा जहां मरीजों को रहने की, खाने की व मरीजों को सहारा देने की व्यवस्था रहेगी।
उन्होंने इस दौरान लिखित में टैंडर के तथ्य पेश किए और कहा कि सरकारी चीज का गलत उपयोग नहीें किया जा सकता है और न ही बिना कागजी कार्रवाई के किसी को दिया जा सकता है।एम.एस ने बताया कि कोई भी समाज सेवक कानून से ऊपर नहीं हो सकता है। कानून के दायरे में रह कर ही काम कर सकते हैं।
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