बिलासपुर, 18 जनवरी : हिमाचल के चुनावी नतीजों में एक खास ट्रेंड भी देखने को मिल रहा है। इसमें युवाओं व अनुभवी लोगों पर मतदाता भरोसा जताते नजर आ रहे हैं। शायद, इस बात को काफी कम पंचायत प्रतिनिधि जानते होंगे कि पंचायत के सरपंचों को कई कानूनी शक्तियां भी होती हैं। मगर, नव नियुक्त 22 साल (14 जून 1998) की जागृति इस बात को बखूबी जानती है। इसकी वजह ये है कि वो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में लाॅ कोर्स में अंतिम वर्ष की छात्रा है।
डिग्री काॅलेज बिलासपुर से स्नातक करने के बाद जागृति ने हिमाचल विश्वविद्यालय में कानूनी पढ़ाई करने का निर्णय लिया था। बेहद ही आत्मविश्वास से भरी जागृति ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में इस बात का खुलासा किया कि लाॅकडाउन के दौरान घर पर रहना पड़ा। इसी बीच दो मर्तबा पंचायत की समस्याओं को बारीकी से देखने का मौका मिला। खंगालने पर पता चला कि धरातल पर विकास कार्यों के लिए बजट तो मुहैया होता है, लेकिन सही तरीके से इसका इस्तेमाल न होने की वजह से आज भी ग्रामीण क्षेत्रों को बिजली, पानी, सड़क व रास्तों जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहना पड़ता है।
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जागृति ने कहा कि पंचायत की समस्याओं से वो बेहद विचलित हुई। इसके बाद चुनाव की घोषणा हुई तो पंचायत का प्रधान पद महिला के लिए आरक्षित हुआ। परिवार से बातचीत की। इसके बाद परिवार ने चुनाव लड़ने के लिए सहमति प्रदान कर दी। उन्होंने बताया कि कानूनी पढ़ाई की ऑनलाइन कक्षाएं भी चल रही हैं। जल्द ही डिग्री पूरी हो जाएगी। वो पूरा ध्यान पंचायत पर ही केंद्रित करना चाहती हैं। कुल मिलाकर अधिवक्ता जागृति समूचे प्रदेश में पंचायत प्रतिनिधियों को कानूनी शक्तियों के बारे जागरूक करने की भी ब्रांड एंबेस्डर बन सकती है।
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पंचायत प्रतिनिधियों की कानूनी शक्तियां….
कई मामलों का निपटारा (Settlement) पंचायतों द्वारा भी किया जा सकता है। ग्राम पंचायत उन अभियुक्तों (Accused) के खिलाफ सुनवाई कर सकती है, जिन्होंने कथित तौर पर हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियमों की अधिसूची में दर्शाए गए अपराध किए हैं। इसमें भारतीय दंड संहिता अधिनियम 1880, पशु अत्याचार अधिनियम, हिमाचल प्रदेश किशोर अधिनियम (Himachal Pradesh Juvenile Act) इत्यादि शामिल हैं।
कुछ सिविल मामलों (Civil Suit) का निपटान करने का भी अधिकार (Right) है। पत्नी-बच्चे जो गुजारा चलाने में असमर्थ हैं, उन्हें पंचायतें 500 रूपए प्रतिमाह गुजारा भत्ता दे सकती हैं। इसके अलावा ग्राम पंचायतें राजस्व मामलों (Revenue cases) में भी सुनवाई कर सकती हैं। जिसमें ग्राम पंचायत के पास आने वाले व्यक्ति को पंचायत या न्यायालय (Court) के पास आने से तीन महीने पहले बेदखल किया गया हो
प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान के समक्ष मामले (Petition) दायर किए जा सकते हैं। इसमें तय कोर्ट फीस के भुगतान का भी प्रावधान है। पंचायतों के समक्ष मामलों को मौखिक (Verbal) या लिखित तौर पर भी दायर (filed) किया जा सकता है। जिन पंचायतों की कोई व्यक्तिगत रूचि या परिवार का सदस्य मामलों में संलिप्त (Involved) होगा तो ऐसे में वो खंड पीठ (Bench) के सदस्य नहीं हो सकते, विवाद (Dispute) वाले वार्ड का सदस्य भी इसमें शामिल नहीं हो सकता। पंचायत पक्षकारों को सुनेगी और साक्ष्यों (Evidences) को रिकॉर्ड करेगी।
पंचायत प्रक्रिया के मुताबिक गवाहों को समन भी कर सकती है। जिन लोगों को न्यायालय (Court) के समक्ष उपस्थित होने की छूट है, उन्हें पंचायत गवाह के तौर पर नहीं बुला सकती। गवाह को आहार राशि भुगतान का भी प्रावधान है। आपराधिक मामलों (Criminal Cases) में पंचायत 100 रूपए की सीमा तक जुर्माना लगा सकती है। मूल कारावास या जुर्माने (fine) के भुगतान के अभाव में कोई कारावास (Imprisonment) देने की शक्ति नहीं है। आरोपी को 200 रूपए तक का मुआवजा देने का आदेश जारी कर सकती है, यदि उसके खिलाफ शिकायत झूठी पाई जाती है।