शिमला, 14 जनवरी : सड़क दुर्घटना में घायल पुलिस कांस्टेबल वीरेंद्र की आईजीएमस में मौत पर युवा कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की घेराबंदी की है। युकां ने वीरेंद्र को शहीद का दर्जा देने की मांग उठाई है। युवा कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष यदोपती ठाकुर ने गुरूवार को कहा कि प्रदेश सरकार व पुलिस महानिदेशक के लिए बडे ही शर्म की बात है कि कांस्टेबल वीरेंद्र कुमार सात दिन तक आईजीएमसी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझता रहा, लेकिन उसे किसी बड़े अस्पताल में हिमाचल से बाहर रैफर नहीं किया गया।
राजधानी शिमला के अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद मुख्यमंत्री जयराम, प्रदेश पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू, मंत्री और कोई बडा अफसर वीरेंद्र को देखने व उसका कुशलक्षेम पूछने तक नहीं गए। जबकि मुख्यमंत्री दावा करते हैं कि वह एक गरीब परिवार से है और उन्होंने गरीबी बहुत नज़दीकी से देखी है। ’यदोपती ठाकुर ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्री हिमाचल से बाहर बड़े नामी अस्पतालों में अपना इलाज करवाने जा सकते हैं, लेकिन एक पुलिस जवान जो साल 2016 में भर्ती हुआ था, उसकी जिंदगी बचाने के लिए आईजीएमसी से बाहर बड़े स्तर के अस्पताल में रैफर नहीं किया गया। हिमाचल की सरकार और पुलिस प्रशासन को शायद ही मलाल हो कि उन्होंने एक जवान और परिवार ने एक जवान बेटा खोया है। ’
पुलिस जवान को क्यों नहीं शहीद का दर्जा, 27 साल के वीरेंद्र के निधन के बाद बड़ा सवाल
युकां के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि पुलिस जवान वीरेंद्र कुमार ने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान दी है। लिहाजा वीरेंद्र कुमार को शहीद का दर्जा दिया जाए। इसके साथ-साथ परिवार के किसी एक सदस्य को सरकारी नौकरी, उचित मुआवजा व पीड़ित परिवार को पेंशन भी प्रदान की जाए।
गौर हो कि गत सात जनवरी को शिमला से सटे कुफरी क्षेत्र में बर्फबारी में फंसे लोगों को निकालने के लिए रवाना हुई पुलिस की कार दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस हादसे में वीरेंद्र गंभीर रूप से जख्मी हुआ और कुछ दिन बाद उसने आईजीएमसी अस्पताल में दम तोड़ दिया।