नाहन, 12 जनवरी : नगर परिषद के चुनाव में करीब 51 फीसदी मतदाताओं ने भाजपा के खिलाफ मत का इस्तेमाल किया है। हालांकि 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी ने शहरी मतदाताओं के वोट हासिल करने में आंशिक तौर पर इजाफा भी किया है, लेकिन शहर में नगर परिषद की सत्ता हासिल करने को लेकर बिंदल की चाणक्य नीति की भी चर्चा हो रही है। डॉ बिंदल को इस चुनाव में फोकस करना जरुरी था, क्योंकि 2017 के विधानसभा चुनाव में वोट बैंक में गिरावट आई थी।
इस बात के सवाल का जवाब ढूंढा जा रहा है कि वार्ड नंबर 2, 9 व 10 में क्या निर्दलीय प्रत्याशियों का मैदान में उतरना इत्तफाक था या फिर भाजपा की रणनीति का ही एक हिस्सा था। इतना तय है कि वार्ड नंबर 2 व 10 में निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में न होने की स्थिति में नतीजा बदल सकता था। वार्ड नंबर 13 में हालांकि बीजेपी ने अमरजीत सिंह को अधिकृत प्रत्याशी बनाया था, लेकिन दो आजाद उम्मीदवारों राकेश कुमार व बगेश कुमार ने 407 वोट हासिल किए, जो कांग्रेस के विजयी प्रत्याशी से 23 मत अधिक हैं। इस वार्ड में कांग्रेस के हैवीवेट योगेश गुप्ता मैदान में थे।
ऐसा प्रतीत हो रहा है कि इस वार्ड से बीजेपी का टिकट लेने के तलबदार ज्यादा हो गए थे। लिहाजा, सबको ही निर्दलीय मैदान में उतरने का संकेत दे दिया गया होगा। इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा सत्ता वापसी को लेकर इस वार्ड को अपनी जीत के अंकगणित में शामिल ही नहीं कर रही थी।
बता दें कि वार्ड नंबर 10 में निर्दलीय प्रत्याशी वसीम अकरम मात्र 33 मतों से चुनाव हारे हैं। ये भी तय है कि अगर वार्ड नंबर 2 व 10 में मतों का ध्रुवीकरण न होता तो इन वार्डों में कांग्रेस के प्रत्याशी जीतते। ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस बहुमत हासिल कर सकती थी। यही नहीं, वार्ड नंबर 3 में कांग्रेस मात्र 3 वोटों से हारी है।
संशय इस बात पर भी जाहिर किया जा रहा है कि क्या चुनाव से पहले कांग्रेस को भी इन तमाम बातों का अहसास था, अगर था तो चुप्पी क्यों साधे रखी गई। अगर ओवरआल प्रतिशतता की बात की जाए तो कांग्रेस ने 41 प्रतिशत के आसपास मत हासिल किए हैं, जबकि भाजपा का शेयर 49 से 50 फीसदी के बीच रहा है। वहीं, अन्यों के खाते में 10 प्रतिशत वोट पड़े। नोटा भी 0 से 1 प्रतिशत के बीच रहा। मतों की संख्या की बात करें तो भाजपा ने 13 वार्डों में 6380 वोट हासिल किए। कांग्रेस ने 5225 वोट प्राप्त किए। अन्यों को 1263 वोट मिले। नोटा की संख्या 108 की रही।
कुल मिलाकर 2-3 वार्डों में वोटों के विभाजन ने भाजपा को दोबारा सत्ता पर काबिज कर दिया है। दीगर है कि 13 में से केवल तीन ही वार्ड ऐसे थे, जहां दो से अधिक उम्मीदवार मैदान में थे। नाहन नगर परिषद में 67.18 फीसदी मतदाताओं ने अपने वोट का इस्तेमाल किया था। व्यवहारिक तौर पर ये प्रतिशतता 2 से 3 प्रतिशत अधिक मानी जा सकती है, क्योंकि मतदाता सूचियों में मृत लोगों के नाम भी शामिल थे। इसके अलावा कई अन्य विसंगतियां भी थी।