नालागढ़, 10 जनवरी : लद्दाख के लेह में 7 जनवरी की सुबह देश पर कुर्बान होने वाले शहीद कुलदीप सिंह रविवार दोपहर बाद कीरतपुर साहिब के पातालपुरी में पंचतत्व में विलीन हो गए। राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि के दौरान हर कोई उस समय सिहर उठा, जब पाया कि शहीद के भाईयों सुरेंद्र सिंह व जोगिंद्र सिंह के साथ 14 साल की बेटी नवनीत कौर व 9 साल की बेटी अमनदीप कौर भी शहीद पिता को मुखाग्नि देने पहुंची हैं।
नालागढ़ प्रशासन के अधिकारियों के अलावा काफी संख्या में सैन्य अधिकारी मौजूद थे। विधायक लखविन्द्र सिंह राणा ने भी शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। दीगर है कि सुबह विशेष क्राफ्ट से शहीद की पार्थिव देह को चंडीगढ़ लाया गया। इसके बाद पैतृक गांव जोगों में कुछ देर के लिए अंतिम दर्शनों हेतु पार्थिव देह को रखा गया। चूंकि परिवार की परंपरा के मुताबिक पार्थिव देह की अंत्येष्टि कीरतपुर साहिब के पातालपुरी में की जाती है, लेकिन प्रशासन व सैन्य अधिकारियों के अलावा लोगों का काफिला पंजाब के कीरतपुर साहिब पहुंचा था। ऑपरेशन स्नो लैपर्ड के दौरान शहादत को हासिल करने वाले कुलदीप सिंह सीमा पर कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में मां भारती की सेवा में डटे हुए थे।
शहीद के दादा भी एक स्वतंत्रता सेनानी रहे हैं। वहीं, चचेरे भाई भी मां भारती की सेवा में डटे हुए हैं। एक भाई बीएसएफ से सेवानिवृत होकर कुछ समय पहले ही लौटा है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में शहीद के भाई सुरेंद्र सिंह ने बताया कि बेटियों व भाईयों ने मुखाग्नि दी। उधर, सैनिक कल्याण बोर्ड के उपनिदेशक मेजर दीपक धवन ने कहा कि 15 हजार रुपए की राशि तत्काल जारी कर दी गई थी। उन्होंने बताया कि 5 लाख रुपए की राशि का चैक दो दिन के भीतर शहीद की पत्नी रेणु देवी को उपलब्ध करवा दिया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि 6 अप्रैल 1979 को जन्में शहीद कुलदीप सिंह ने 10 जुलाई 1999 में सेना में भर्ती होकर मां भारती की रक्षा की कसम खाई थी। शायद ही वो जानते होंगे कि एक दिन ऐसा भी आएगा, जब वो मां भारती की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर कर समूचे परिवार को गौरव महसूस करवाएंगे।