नाहन/प्रकाश शर्मा : सोचिए, घर का एक लाल अचानक ही लापता हो जाए तो परिवार खासकर धात्री पर क्या गुजरती है। इसका जवाब वही दे सकता है, जिसके साथ ऐसा बीता हो। सैनवाला के चार युवकों हिमांशु, प्रमोद, ललित व अंकुर के प्रयास का सेतु पुलिस विभाग का हैड कांस्टेबल राकेश बना है। दरअसल, मूलतः बिहार के समस्तीपुर जिला का रहने वाला युवक रूपेश भटककर सैनवाला पहुंच गया। वो 18 महीनों से लापता था। लेकिन सैंकड़ों मील दूर मां को बेटे के घर लौटने की उम्मीद बरकरार थी।
सैनवाला के युवकों ने करीब 15 दिनों तक रूपेश को आश्रय दिया। युवकों ने रूपेश के परिवार की तलाश में हैड कांस्टेबल राकेश से संपर्क किया। वो व्यक्तिगत तौर पर बिछड़े रूपेश को परिवार से मिलवाने की जद्दोजहद में जुट गए। वीरवार को वो पल आ गए, जब रूपेश का भाई उसे बिहार से लेने पहुंच गया। भाई चंदन ने ही इस बात का खुलासा किया कि वो पानीपत की एक कंपनी में काम करता था। घर लौटने के दौरान लापता हो गया था। रूपेश की जब भाई ने फोन पर मां से बात करवाई तो वो बिलख-बिलख कर रो पड़ी।
भाई ने आशंका जाहिर की है कि हरियाणा के पानीपत से घर लौटने के दौरान रूपेश के साथ कोई अनहोनी हुई, क्योंकि सिर पर चोट के निशान भी हैं। उसके पास 8 से 10 हजार रुपए कैश होने की बात भी कही जा रही है। उन्होंने बताया कि संभवतः याददाश्त खोने की वजह से ही वो इधर-उधर भटकता रहा। अब मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है।
उधर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बबीता राणा ने युवकों व हैड कांस्टेबल के प्रयास की सराहना की है। कुल मिलाकर बेटे को मां से मिलवाने के इस मामले में समाज के साथ-साथ पुलिस का मानवीय चेहरा भी सामने आया है।