शिलाई, 29 दिसंबर: आइसक्रीम बेच कर बेटी को उच्च शिक्षा की राह दिखाने वाली मां की मेहनत रंग ला रही है। हालांकि पिछले एक साल से बेटी अपनी काबलियत का डंका कई बार बजा चुकी है, लेकिन अब बेटी के नाम के साथ Dr.. का उपसर्ग(Prefix) जुड़ जाने से परिवार दोबारा गौरवान्वित हुआ है। दरअसल, शिलाई की बालीकोटी की रहने वाली राधा ने पीएचडी (Doctorate of Philosophy) पूरी कर ली है।
शूलिनी विश्वविद्यालय में बाॅटनी(Botany) की सहायक प्रोफेसर राधा की पहचान अब डाॅ. राधा से होगी। एक फरवरी 2020 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय(JNU) में युवा वैज्ञानिक 2020 के अवार्ड से भी अलंकृत किया गया था। अक्तूबर 2019 में युवा महिला वैज्ञानिक (Youth Women Scientist) के पुरस्कार पर भी कब्जा किया था। अब बेटी के नाम के साथ डाॅ. का उपसर्ग जुड़ने से मां विद्या देवी का सीना फक्र से पुनः चौड़ा हो गया है।
बता दें कि जब रात-रात भर बेटी शोध (Research) में जुटी होती थी तो मां कोसों दूर ट्रांसगिरि के एक रिमोट गांव में रात भर जागती रहती थी।
शायद, आप में से कुछ को याद होगा कि शिलाई की बालीकोटी पंचायत की एक ग्रामीण महिला ने कैसे आइसक्रीम बेचकर अपनी बेटी को उच्चशिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया था। आइसक्रीम (Ice cream) बेचने की नौबत इस कारण आ पड़ी थी, क्योंकि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पति के लिए बेटी की उच्चशिक्षा(Higher Education) मुश्किल हो रही थी। अब वही बेटी अपने माता-पिता के सपनों को पंख लगाकर फलक पर उड़ान भर रही है।
उल्लेखनीय है कि डाॅ. राधा में लगातार 26 से 30 घंटे तक प्रयोगशाला (Laboratory) में कार्य करने की असाधारण (Extraordinary) क्षमता है। डाॅ. राधा ने शोध के लिए भी एक दिलचस्प फील्ड चुनी हुई है। वो इस जिज्ञासा (Curiosity) को दूर करना चाहती है कि आखिर घुमंतु गडरियों (Shepherds) के पास ऐसा क्या ज्ञान (Knowledge) है, जिससे वो हजारों फीट की ऊंचाई पर खुद या भेड़ों के बीमार होने पर स्वयं ही इलाज(Treatment) कर लेते हैं।
दीगर यह भी है कि इस जिज्ञासा को दूर करने के लिए करीब डेढ़ साल पहले डाॅ. राधा ने कड़कती ठंड व बर्फबारी में गडरियों के डेरे में कई रातें भी बिताई हैं। ये सब कुछ जुनून की वजह से ही संभव हो पाता है। उनका ये कहना है कि ये सही है कि घुमंतु गडरियों को कुदरत के अनमोल खजाने का ज्ञान प्राप्त है।
बता दें कि शूलिनी विश्वविद्यालय की अकादमी काउंसिल द्वारा 15 अक्तूबर 2020 को 63वीं बैठक में डाॅ. राधा की थिसिज को मंजूर कर लिया था। यूजीसी के नियमों के तहत डाॅ. राधा को पीएचडी की डिग्री से अलंकृत किया जाएगा।