रामपुर/मीनाक्षी भारद्वाज : हिमाचल प्रदेश के पंचायतीराज चुनाव (Panchayati Raj Election) की अधिसूचना से पहले राज्य का एक बड़ा तबका सोशल मीडिया (Social media) के माध्यम से एक मुहिम (Campaign) चलाए हुए था। इसमें उम्मीदवारों (Candidates) की शैक्षणिक योग्यता (Education) को तय करने की मांग की जा रही थी, लेकिन सरकार ने वही किया जो चाहती थी। पंचायतीराज के प्रतिनिधियों के लिए शैक्षणिक योग्यता को लेकर कोई मापदंड नहीं बनाया गया।
इसी बीच शिमला जनपद के रामपुर उपमंडल में झाकड़ी-2 वार्ड से 25 साल की उच्च शिक्षित युवती “कविता कंटू” के चुनाव मैदान में उतरने की खबर है। युवती ने जिला परिषद के सदस्य का चुनाव लड़ने की ताल ठोकी है। माता-पिता की इकलौती संतान (Only girl child) कविता कंटू ने न केवल इतिहास (History) विषय में एमफिल की है, बल्कि यूजीसी (UGC) की नेट परीक्षा भी उत्तीर्ण की हुई है। वहीं आगे पीएचडी की पढ़ाई भी करना चाहती है। हालांकि 10 पंचायतों में फैले कविता के जिला परिषद वार्ड में मतदाताओं (Voters) को तय करना है कि किसे चुनकर जिला परिषद में भेजना है। पंचायतीराज प्रणाली में जिला परिषद सर्वोच्च संस्था है।
देवठी गांव में दुकान (Shop) चलाने वाले पिता के इकलौती बेटी बचपन से ही होनहार (Outstanding) रही हैं। पढ़ाई के साथ-साथ छात्र राजनीति (Politics) में भी सक्रिय रही। उच्च शिक्षित युवाओं के मैदान में उतरने पर मतदाताओं में एक संशय भी पैदा होता है। इसमें सवाल यह उठता है कि जब निर्वाचित (Elected) होने के बाद इन युवाओं को नौकरी के अवसर मिलते हैं तो वह पंचायतीराज संस्था से इस्तीफ़ा (Resign) देकर नौकरी ज्वाइन (Job) कर लेते है। यही सवाल एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क में सीधे कविता से किया। इस पर कविता का कहना था कि निश्चित तौर पर अगर वह कोशिश करें तो नौकरी हासिल कर सकती है, लेकिन वह इस दृढ़ निश्चय से चुनाव मैदान में उतरी है कि 5 साल अपने इलाके को हर हाल में देगी। साफ किया कि नौकरी का कोई भी अवसर मिलेगा तो वह उसे ठुकराएगी।
अहम बात यह है कि कविता का ताल्लुक उन राजनीतिक दलों (Political Parties) से नहीं है जो सत्ता पर काबिज होते हैं, बल्कि भारतीय नौजवान सभा की पृष्ठभूमि से जुड़ी है। कविता का यह भी कहना है कि वह कई आंदोलनों (Agitation) से जुड़ी रही है। पंचायतीराज की प्रणाली को भी बखूबी समझती है। बता दे कि देश की सबसे युवा सरपंच बनने का गौरव हासिल कर चुकी मंडी की जबना चौहान ने इस बार चुनाव लड़ने से इंकार किया है।
कुल मिलाकर यह सवाल हम पाठकों पर ही छोड़ना चाहते हैं कि आखिर सत्ता में आने वाले राजनीतिक दलों को क्यों पंचायतीराज या फिर स्थानीय निकायों में उच्च शिक्षित योग्य उम्मीदवार नहीं मिलते हैं।