शिमला, 12 दिसंबर : प्रदेश में पंचायतीराज चुनाव की सरगर्मियां आरंभ होने से लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। परंतु प्रदेश सरकार द्वारा प्रधान व अन्य पंचायत पदाधिकारियों की शैक्षणिक योग्यता तय न करने से शिक्षित वर्ग काफी क्षुब्ध हैं। शिक्षित वर्ग का कहना है कि पंचायत स्तर की राजनीति पर अभी तक कम शिक्षित वर्ग का दबदबा है, जिस कारण पंचायत प्रधान अपने सचिव की कठपुतली बन कर रह जाते हैं।
गौर रहे कि अगले वर्ष 23 जनवरी को त्रि-स्तरीय पंचायतीराज का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है और राज्य चुनाव आयोग द्वारा पंचायतीराज के चुनाव तय सीमा में करवाने का फरमान भी जारी कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि अधिकांश प्रधान कम पढ़े लिखे होने के कारण उन्हें पंचायतीराज की प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों बारे जानकारी नहीं है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों का विकास सही परिप्रेक्ष्य में नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा हरियाणा और उत्तराखंड की तर्ज पर पंचायत प्रधानों एवं अन्य सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता तय करने बारे सरकार से बार-बार मांग उठाई जा रही है। गौर रहे कि हरियाणा और उत्तराखंड में पंचायत प्रधान को चुनाव लड़ने के लिए शैक्षिणिक योग्यता निर्धारित की गई है परंतु वोट की राजनीति के चलते हिमाचल प्रदेश सरकार मूकदर्शक बन कर बैठी है।
जुन्गा क्षेत्र के वरिष्ठ नागरिक विश्वानंद ठाकुर, प्रीतम ठाकुर, किरण शर्मा, करूणा धीमान, इंद्रा ठाकुर, देव चौहान, लीला चौहान सहित अनेक लोगों का कहना है कि सरकार को त्रिस्तरीय पंचायतीराज के चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता तय करनी चाहिए थी ताकि ग्रामीण क्षेत्रों का विकास सही परिप्रेक्ष्य में हो सके। कहा कि सरकार इस बारे गंभीर नहीं है। यदि पंचायतों का ऑडिट करवाया जाए तो अनेक प्रधानों को पद छोड़ने के उपरांत उमर भर रिकवरी का दंश झेलना पड़ सकता है। इनका कहना है कि विशेष कर पंचायत प्रधान के पद का चुनाव लड़ने के लिए शैक्षणिक योग्यता कम से कम दस जमा दो होना जरूरी है। क्योंकि सरकार द्वारा पंचायत प्रधान को प्रशासनिक, वित्तीय और न्यायिक शक्तियां प्रदान की गई है परंतु कम शिक्षित होने के कारण प्रधान को हर कार्य के लिए सचिव पर निर्भर रहना पड़ता है और अनेकों बार सचिव इस आड़ में कई गलत कार्य भी करवा देते हैं। इस बारे अतिरिक्त निदेशक पंचायतीराज केवल शर्मा ने बताया कि पंचायत प्रधानों की शैक्षणिक योग्यता निर्धारित करने के लिए विभाग के पास कोई प्रस्ताव नहीं आया है।