नाहन, 11 दिसंबर : ऐतिहासिक शहर नाहन में अवैध पार्किंग (Illegal Parking) अब विकराल रूप धारण करती नजर आ रही है। बेखौफ लोग ट्रैफिक पुलिस के कंट्रोल रूम (Traffic Police Control Room) के समीप ही बाज नहीं आ रहे हैं। अगर एसपी (SP) व डीसी (DC) आवास से कार्यालयों तक पैदल आना शुरू कर दें तो हकीकत से वाकिफ होंगे कि कैसे लोग जान जोखिम (Life Risk) में डालकर पैदल चलते हैं। बता दें कि डीसी व एसपी के आवास अपने कार्यालयों से एक किलोमीटर के दायरे में हैं। अगर आवास से देहली गेट तक भी अलग-अलग रास्तों से पहुंचते हैं तो भी हालात में सुधार आने की गुंजाइश हो सकती है।
प्रशासन भी अपनी जिम्मेदारी (Responsibility) से यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकता है कि कार्रवाई पुलिस को करनी है, क्योंकि उपायुक्त के स्तर पर पार्किंग स्थल व ट्रैफिक से जुड़े अन्य मसलों पर अधिसूचना (Notification) जारी की जाती है। यदि प्रशासन भारी वाहनों के गुजरने का समय निर्धारित करता है तो पुलिस की भूमिका केवल आदेशों (Orders) की अनुपालना (Execution) करवाने की होती है।
गनीमत इस बात की है कि शहर हादसों से बचा हुआ है। महलात से लेकर राज्य सहकारी बैंक के नए भवन तक दोनों तरफ पार्किंग की वजह से पहले से ही संकीर्ण सड़क अब गली में तब्दील होती नजर आ रही है।
लंबे अरसे से यह मांग उठती आ रही है कि शहर के भीतर से भारी वाहनों के गुजरने को लेकर समय का निर्धारण होना चाहिए, लेकिन मजाल है कि इस पर पुलिस व प्रशासन कोई एक्शन प्लान बनाएं। शहर की सड़कों पर फैली भवन सामग्री (Building Material) इस समस्या को ओर बढ़ा देती है। उदाहरण के तौर पर अगर दो पहिया वाहन बजरी पर स्किड करता है तो पैदल चलने वालों को अधिक जोखिम है।
सवाल इस बात पर उठता है कि क्या हरेक वो शख्स प्रभावशाली या रसूखदार हो चुका है, जो ट्रैफिक पुलिस के अपने ही कंट्रोल रूम के सामने भी पार्किंग (Parking) करने का साहस जुटाता है। अलबत्ता लोगों को यह जरूर समझ लेना चाहिए कि दुर्घटना (Accident) की इंतजार करने की बजाय शहर की सड़कों व बाजारों में चलते वक्त अतिरिक्त सावधानी (Precaution) बरतें।
बड़ी बात यह भी है कि दुपहिया (Two Wheeler) व फोर व्हीलर (Four Wheeler) चालक ओवर स्पीडिंग (Over Speeding) से भी गुरेज नहीं करते हैं। यदा-कदा जब पुलिस से अवैध पार्किंग (Illegal Parking) को लेकर शिकायत की जाती है तो धड़ाधड़ चालान शुरू कर दिए जाते हैं। चंद घंटों में स्थिति जस की तस हो जाती है। कुल मिलाकर नाहन को पांवटा साहिब जैसे हालातों से समय रहते ही बचाने की आवश्यकता है।